मुसीबतों का पहाड़ लांघ सफलता के शिखर पर पताका फहरा रही बेटियां
पुरबालियान गांव के मोजिज लोग नीरंजन, सुखपाल, राजवीर, प्रधान पति शौकत, डॉ मीर हसन, जयदरथ, राकेश, सुनील आदि का कहना है कि ऐसा नही है कि बेटे ही अपने परिवार का नाम रोशन करते है, अब बेटियां भी अपने परिवार और गांव का नाम रोशन कर रही है। उनके गांव की बेटी दिव्या काकरान ने कास्य पदक जीताकर सभी का सीना चैड़ा कर दिया। पुरबालियान की रहने वाली दीपा बालियान निशाने बाजी खेल को पसंद करती है। उसका कहना है कि दिव्या ने गांव का नाम रोशन किया है, दिव्या की उपलब्धि और संघर्ष ने युवतियों को एक दिशा दी है।
दिव्या का सफर
इसलिए उसने इसी में अपना कैरियर चुना। स्कूलों द्वारा कराए गए कंपीटिशनों में हिस्सा लेती रही। दिव्या काकरान ने 2011 में ग्रामीण गेम चैम्पियन नरवाना हरियाणा में 48 किला भार वर्ग की कुश्ती में तीसरा स्थान प्राप्त किया। 2011 में ही राजीव गोल्ड कप बवाला दिल्ली में 58 किलों भार वर्ग की कुश्ती में द्वितीय स्थन प्राप्त किया था। 2012 में भरतपुर राजस्थान में हुई 65 किलों भार वर्ग की कुश्ती राजस्थान केसरी में प्रथम स्थान प्राप्त किया। दिव्या काकरान ने अर्जुन अवार्ड, लक्ष्मीबाई अवार्ड भी जीते। सन 2019 में रेलवे विभाग में दिव्या काकरान को नौकरी मिली थी। उसके बाद भी दिव्या ने अपनी पहलवानी जारी रखी। दिव्या काकरान अब तक 80 मेडल जीत चुकी है।
क्या कहती है दिव्या
हिन्दुस्तान टीम के साथ फोन पर हुई बातचीत में दिव्या काकरान ने बताया कि कॉमनवेल्थ का पदक जीतकर बेहद खुश है। उनका लक्ष्य पेरिस ओलंपिक में पदक जीतकर अपने माता-पिता और गांव का नाम रोशन करना है।
क्या कहते है दिव्या के दादा
दिव्या काकरान के दादा राजेंद्र पहलवान का कहना है कि उनकी पौत्री ने उनके परिवार के साथ गांव व देश का नाम रोशन किया है। उनका आर्शीवाद है कि उनकी पौत्री इसी प्रकार देश का नाम रोशन करते हुए कामयाबी की ऊचाईयों को छूए।
लेबल: मुजफ्फरनगर ब्रेकिंग
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