देवताओं के आराध्य देव हैं भगवान विश्वकर्मा: ओमानन्द
इंदिरा कालोनी स्थित विश्वकर्मा मंदिर धर्मशाला के नवनिर्माण का लोकार्पण वेद मंत्रोच्चार के साथ मुख्य अतिथि स्वामी ओमानन्द ने किया। उन्होंने कहा कि देश में सभी धर्मों के लोग, उधमी, इंजीनियर्स 17 सितंबर को विश्वकर्मा भगवान का पूजन दिवस मनाते है। शिल्पकला और विज्ञान के प्रवर्तक, सृष्टि रचियता विश्वकर्मा सनातन संस्कृति में सभी देवताओं के आराध्य है। विश्वकर्मा भगवान समस्त धर्मों, जातियों के लिए पूज्यनीय है। उन्होंने कहा कि ईश्वर पर सदैव भरोसा रखिये। ऋषियों के बताएं मार्ग पर चलें और सत्कर्म में जीवन लगाएं। पाप मुक्त जीवन ही मोक्षगामी है। राष्ट्र उन शिल्पियों, श्रमिकों और इंजीनियरों का ऋणी है, जिनके पुरुषार्थ और ज्ञान से भूमंडल की विविधता बनी हुई है।
अध्यक्षता करते वैदिक संस्कार चेतना अभियान संयोजक आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि ऋषि अंगिरा की पुत्री योगसिद्धा का विवाह ऋषि वशिष्ठ के पुत्र ऋषि प्रभास से हुआ था, उन्हें से पुत्र विश्वकर्मा का जन्म हुआ। महर्षि दयानन्द ने शिल्प को यज्ञकर्म बताया है। देवताओं की रक्षा के लिए अनेकों अविष्कार ऋषि विश्वकर्मा ने किए। विश्वकर्मा धर्मशाला मंदिर समिति अध्यक्ष सरदार बलविंद्र सिंह एवं महामंत्री नरेंद्र कुमार श्रृंगी ने स्वामी ओमानन्द तथा आचार्य गुरुदत्त आर्य का अभिनंदन किया। इससे पूर्व अतिथियों ने गायत्री मंत्र के साथ भगवान विश्वकर्मा के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित किया। नरेश विश्वकर्मा ने संस्था के प्रगति कार्यो को प्रस्तुत किया। संचालन ओमदत्त आर्य ने किया।
लेबल: मुजफ्फरनगर ब्रेकिंग
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