शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

मॉब लिंचिंग, नाबालिग से रेप पर मौत की सजा... जानिए IPC-CRPC पर 3 नए बिलों से क्या-क्या बदलेगा?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं. इसी उद्देश्य से तीन विधेयक पेश किए जा रहे हैं. अमित शाह ने कहा कि नए कानून बनने से 533 धाराएं खत्म होंगी. 133 नई धारा शामिल की गई हैं. जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है.


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मॉनसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही. अब अंग्रेजों के समय से चले आ रहे तीनों कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा. शाह ने जिन विधयकों को पेश किया, उनके कानून बनने के साथ ही राजद्रोह खत्म हो जाएगा. इसके अलावा इसमें मॉब लिंचिंग, महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में भी तमाम बदलाव किए गए हैं. आइए जानते हैं कि नए कानून आने के बाद क्या क्या बदलाव होगा?

मॉब लिंचिंग में मौत तक की सजा का प्रावधान
नए विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा में जोड़ा गया है. जब 5 या 5 से अधिक लोगों का एक समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के हर सदस्य को मौत या कारावास से दंडित किया जाएगा. इसमें न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाएगा. 

नाबालिग से रेप में मौत की सजा
अमित शाह ने बताया कि नए कानूनों में हमने महिलाओं के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं के निपटान के लिए ढेर सारे प्रावधान किए हैं. गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है, 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया है. 

- रेप के कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया गया है जो परिभाषित करता है कि विरोध न करने का मतलब सहमति नहीं है. इसके अलावा गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. 

आरोपी की अनुपस्थिति में ट्रायल और सजा
शाह ने बताया कि हमने एक बहुत ऐतिहासिक फैसला किया है, वो है आरोपी की अनुपस्थिति में ट्रायल. उन्होंने बताया कि अभी कई केसों में दाऊद इब्राहिम वांटेड है, वो देश छोड़कर भाग गया. ऐसे में केसों का ट्रायल नहीं चल पा रहा है. अब सेशन कोर्ट के जज नियमों के मुताबिक, जिसे भगोड़ा घोषित करेंगे, उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और सजा भी सुनाई जाएगी. 

हेट स्पीच पर भी सजा का प्रावधान
नए कानूनों में हेट स्पीच और धार्मिक भड़काऊ स्पीच को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है. अगर कोई व्यक्ति हेट स्पीच देता है, तो ऐसे मामले में तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा कोई धार्मिक आयोजन कर किसी वर्ग, श्रेणी या अन्य धर्म के खिलाफ भड़काऊ स्पीच दी जाती है, तो 5 साल की सजा का प्रावधान होगा. 

533 धाराएं खत्म होंगी- अमित शाह
2027 तक सभी कोर्ट ऑनलाइन होंगी. जीरो एफआईआर कहीं से भी रजिस्टर की जा सकती है. अगर किसी को भी गिरफ्तार किया जाता है, तो उसके परिवार को तुरंत सूचित करना होगा. जांच 180 दिन में समाप्त कर ट्रायल के लिए भेजना होगा. 

अमित शाह ने बताया कि नए कानून बनने से 533 धाराएं खत्म होंगी. 133 नई धारा शामिल की गई हैं. जबकि 9 धारा को बदल दिया गया है. इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन साक्ष्य, ईमेल आदि सबकी कानूनी वैधता होगी.

दिल्ली में हर जगह 7 साल से अधिक सजा वाले केस में FSL जांच को अनिवार्य कर दिया गया है. यौन हिंसा के मामले में पीड़िता का बयान कंपलसरी किया गया है. पीड़ित को सुने बगैर कोई केस वापस नहीं किया जा सकेगा. 3 साल तक की सजा वाले मामले में समरी ट्रायल को लागू किया गया है. मामले का जल्द निपटारा किया जाएगा. चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के अंदर ही फैसला देना होगा. फैसला 7 दिन के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध करना होगा. 

- मौत की सजा वाले को आजीवन में बदलाव हो सकता है, लेकिन दोषी किसी भी तरह छोड़ा नहीं जायेगा. कानून में टेररिज्म की व्याख्या जोड़ी गई है. 

- सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज होता है तो 120 दिनों के केस चलाने की अनुमति देनी जरूरी है. 

- दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश कोर्ट देगा ना कि पुलिस अधिकारी. 
 

मुजफ्फरनगर में मारपीट करने पर 8 लोगों को सजा:सेशन कोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला, 4 साल की सजा सुनाई

मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने मारपीट कर घायल करने के मामले में सुनवाई करते हुए 8 दोषियों को 4 साल कैद की सजा सुनाई। पांच महीना पहले मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।

लेकिन सेशन कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि 2 वर्ष पूर्व जानसठ थाना क्षेत्र के गांव चुड़ियाला में दिलशाद के घर में घुसकर मारपीट की गई थी। उन्होंने बताया कि इस मामले में सनव्वर पुत्र जकाउल्लाह ने मुकदमा दर्ज कराया था।

मारपीट में फिरोज, मुस्तकीम और रेशमा घायल हो गए थे
बताया था कि उसके ताऊ के लड़के दिलशाद के घर में 3 जुलाई 2021 को कमरुद्दीन, विशाल, आबिद, जुल्फिकार, साकिब, तालिब, शादाब और इरशाद ने घुसकर मारपीट की थी। मारपीट में फिरोज मुस्तकीम और रेशमा घायल हो गए थे। जिनमें फिरोज पुत्र दिलशाद की हालत गंभीर थी। उन्होंने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई सिविल जज जूनियर डिविजन की कोर्ट में हुई थी।

निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया था
20 मार्च 2023 में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-3 के जज गोपाल उपाध्याय ने सुनवाई की थी। अपर जिला जज ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया था। उन्होंने बताया कि उसके बाद कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए सभी 8 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 4 वर्ष कैद की सजा सुनाई।

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नूह में बुलडोजर एक्शन रोका था, अब हाई कोर्ट की इस बेंच को सुनवाई से क्यों हटा दिया गया?

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab Haryana High Court) की एक बेंच ने 7 अगस्त को नूह और गुरुग्राम में हुई हिंसा पर स्वत: संज्ञान लिया था. कोर्ट ने हिंसा के बाद नूह में लोगों के घर पर की जा रही बुलडोज़र कार्रवाई (Nuh Bulldozer Action) पर रोक लगा दी थी. साथ ही कोर्ट ने हरियाणा सरकार से सवाल किया था कि क्या राज्य जातीय संहार (Ethnic Cleansing) करने की कोशिश कर रहा है? अब इस बेंच को बदल दिया गया है.

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 10 अगस्त की देर रात हाई कोर्ट की इस बेंच को बदल दिया गया. बेंच एक दिन बाद यानी 11 अगस्त को ही इस मामले की फिर से सुनवाई करने वाली थी. इससे पहले ही बेंच का ट्रांसफर हो गया है. इसमें जस्टिस जी. एस. संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन शामिल हैं. अब जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस जगमोहन बंसल की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.

बेंच ने बुलडोज़र एक्शन पर किया था सवाल
जस्टिस जी. एस. संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की बेंच ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि जिन इमारतों पर बुलडोज़र चलाया जा रहा है, क्या वो किसी एक खास समुदाय के लोगों की हैं? क्या सरकार कानून-व्यवस्था की आड़ में ऐसा कर रही है? हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक नोटिस भी जारी किया था. कोर्ट ने इसे जारी करते हुए अपने आदेश में कहा था,

"मुद्दा ये भी है कि क्या कानून-व्यवस्था की आड़ में किसी एक खास समुदाय की इमारतों पर बुलडोज़र चलाया जा रहा है? और क्या राज्य सरकार जातीय संहार की कोशिश कर रही है?"

जातीय संहार को अंग्रेज़ी में 'एथनिक क्लिनसिंग' कहा जाता है. इसका मतलब है किसी जगह से एक खास समुदाय को हटाने के लिए बल या धमकी का इस्तेमाल करना. कोर्ट हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के बयान पर टिप्पणी कर रहा था. इसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार सांप्रादयिक हिंसा की जांच कर रही है और बुलडोज़र ‘इलाज’ का हिस्सा है.


'कानूनी प्रक्रिया के बिना गिराई जा रहीं इमारतें'
कोर्ट ने अंग्रेज़ी के लेखक और इतिहासकार लॉर्ड एक्टन की बात का ज़िक्र करते हुए कहा था कि सत्ता भ्रष्ट करती है और निरंकुश सत्ता आपको पूरी तरह भ्रष्ट कर देती है. बिना किसी नोटिस के लोगों के घर गिराए जा रहे हैं. ज़ाहिर है कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना इमारतों को गिराया जा रहा है.

कोर्ट ने हरियाणा सरकार को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था. इसमें उन्हें बताना था कि नूह और गुरुग्राम में पिछले दो हफ्तों में उन्होंने कितनी इमारतें गिराईं? क्या इससे पहले मकान मालिकों को कोई नोटिस दिया गया था?

हाई कोर्ट के आदेश के बाद, पुलिस डिप्टी कमिश्नर धीरेंद्र खड़गटा ने अधिकारियों को बुलडोज़र की कार्रवाई रोकने के लिए कहा था. नूह में 31 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद की बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिसा हुई थी. इसमें 6 लोगों की मौत हुई थी.  

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