योगी कैबिनेट में जातीय गणित तो सध गया, लेकिन क्षेत्रीय संतुलन अधूरा!

स्टोरी हाइलाइट्स
- योगी कैबिनेट में अभी भी 7 मंत्री की जगह बचे हैं
- मंत्रिमंडल में आगरा-काशी-कानपुर देहात का दबदबा
- यूपी के 40 जिलों से कोई भी मंत्री नहीं बन सका है
उत्तर प्रदेश में योगी मंत्रिमंडल 2.0 में 21 सवर्ण, 20 ओबीसी और 9 दलित मंत्री बनाकर बीजेपी ने भले ही जातीय समीकरण साधने में कामयाब रही है, लेकिन क्षेत्रीय संतुलन बनाने में असफल रही. सीएम योगी आदित्यनाथ सहित 53 मंत्रियों ने शपथ ली. सूबे के 75 जिलों में से 35 जिलों के नेताओं को ही योगी कैबिनेट में जगह मिली है जबकि, 40 जिलों से कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. हालांकि, योगी कैबिनेट में अभी भी सात मंत्री पद की गुंजाइश बची हुई है. ऐसे में बीजेपी क्या मंत्रिमंडल का विस्तार के जरिए भविष्य में क्षेत्रीय समीकरण साधने की कवायद करेगी?
योगी कैबिनेट में किस जिले का दबदबा
लखनऊ का रुतबा योगी सरकार के 2.0 में कम हुआ हैं तो दस सीटों वाले कानपुर नगर की किसी भी नेता को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. इस तरह से यूपी के लखनऊ प्रयागराज सहित 22 जिलों से एक-एक नेता को मंत्री बनाया गया है जबकि 13 जिले ऐसे हैं जहां के एक से ज्यादा नेता मंत्री बने हैं. इनमें आगरा, वाराणसी, अलीगढ़, कानपुर देहात और शाहजहांपुर से तीन-तीन मंत्री बने हैं जबकि गोरखपुर, देवरिया, बलिया, हरदोई, सीतापुर, बरेली, मेरठ और सहारनपुर जिले से भी दो-दो मंत्री बनाए गए हैं.
वहीं, पूर्वांचल के बस्ती और देवीपाटन इलाके से सात जिलों में से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया है तो गोरखपुर से संजय निषाद को ही योगी सरकार में जगह मिल सकी. देवीपाटन मंडल में विधानसभा की 20 सीटे हैं, जिनमें बीजेपी 16 सीटें जीती है तो गोंडा की सभी सातों सीटों पर कमल खिला है, लेकिन मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. ऐसे ही बस्ती मंडल का भी हाल रहा जबकि पिछली बार यहां से दो मंत्री थे.
लखनऊ से कैबिनेट में सिर्फ एक को जगह
बीजेपी को इस बार सबसे ज्यादा सीटें देने वाले अवध क्षेत्र यानि मध्य यूपी का प्रभाव मंत्रिपरिषद में काफी कम हुआ है. अवध क्षेत्र को केवल सात मंत्री मिले हैं जबकि पिछली बार 13 मंत्री यहां से थे. पिछली योगी सरकार में अवध क्षेत्र के लखनऊ से उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के अलावा बृजेश पाठक, डा. महेंद्र सिंह, आशुतोष टंडन, स्वाति सिंह, मोहिसन रजा मंत्री थे, लेकिन इस बार महज एक ही जगह मिली है. दिनेश शर्मा की जगह बृजेश पाठक डिप्टीसीएम बनाए गए हैं.
कानपुर नगर, अयोध्या समेत 40 जिलों से किसी भी नेता को योगी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. कानपुर नगर जिला जहां से 10 विधानसभा सीटें हैं, इनमें से छह सीटों पर बीजेपी, एक पर उसकी सहयोगी अपना दल को जीत मिली हैं. इसके बाद भी किसी को मंत्री नहीं बनाया गया है. सतीष महाना और निलिमा कटियार जैसे वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया गया है जबकि पिछले कार्यकाल में ये दोनों ही मंत्री थे. हालांकि, सतीष महाना को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव चला है.
बीजेपी का क्लीन स्वीप, लेकिन कैबिनेट में जगह नहीं
भगवान राम की नगरी अयोध्या जिले से भी किसी को मंत्री नहीं बनाया गया. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा आरोप लगे कि लखीमपुर खीरी में गाड़ी से किसानों के कुचलने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बावजूद जिले के मतदाताओं ने सभी आठ की आठ सीटें पार्टी को जिता दी. इसके बाद मंत्रिमंडल में किसी को भी शामिल नहीं किया. इसी तरह उन्नाव ने सभी 6 में से 6, कुशीनगर ने 5 में से 5 सीटें बीजेपी गठबंधन ने जीती हैं, लेकिन इसके बाद भी इन जिलों से मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल सका.
फर्रुखाबाद जिले की सभी 5, एटा की सभी 4, हापुड़ की सभी 3, नोएडा की सभी 3, महोबा की सभी 2, हमीरपुर की सभी 2 सीटों पर बीजेपी जीती है, लेकिन मंत्रिमंडल में किसी को जगह नहीं मिल सकी है. वहीं, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, गाजीपुर और शामली जिले से एक भी सीट बीजेपी नहीं जीती है, जिसके चलते माना जा रहा है किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया.
बीजेपी के लिए पश्चिमी यूपी सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना जा रहा था, जहां पार्टी खासी मशक्कत करनी पड़ी है. पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ ने मिल कर आक्रामक प्रचार अभियान के जरिए पूरा सियासी मंजर ही बदल दिया. बीजेपी को पश्चिमी यूपी में पहले ही तुलना में सीटें कम आई है, लेकिन योगी कैबिनेट में पिछली बार से ज्यादा जगह मिली है.
पश्चिमी यूपी में विधायक घटे मंत्री बढ़ें
पश्चिमी यूपी की कुल 136 सीटों में से बीजेपी को इस बार 93 सीटें मिली है और कैबिनेट में 25 मंत्री बनाए गए हैं. वहीं, 2017 में 109 सीटें मिली थी और 16 मंत्री थे. इस तरह से बीजेपी वेस्ट यूपी में अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखने के लिए योगी कैबिनेट में पिछली बार से ज्यादा जगह देकर बड़ा दांव चला है. वहीं, इस बार बुंदेलखंड से तीन विधायकों को योगी सरकार में मंत्री बनाया गया है जबकि पिछली बार दो मंत्री थे.
पूर्वांचल के इलाके से सात मंत्री इस बार बनाए गए हैं जबकि पिछले कार्यकाल में 14 मंत्री थी. इस बार योगी सरकार में पूर्वी यूपी का प्रतिनिधित्व कम हुई है. 2017 में पूर्वांचल की 133 सीटों में से बीजेपी 100 सीटें जीती थी जबकि इस बार 77 सीटें मिली. मध्य यूपी में भी मंत्रियों का प्रतिनिधित्व कम हुई है. पिछली बार अवध क्षेत्र से 13 मंत्री थे, लेकिन इस बार सात मंत्री बने हैं.
आगरा-कानपुर देहात का दबदबा
योगी की नई कैबिनेट में आगरा और कानपुर देहात जिले का का दबदबा है. आगरा जिले में नौ विधानसभा सीटें हैं. इस बार यहां की सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली है., नौ विधायकों में से तीन को मंत्री बनाया गया है. आगरा से मंत्री बनने वालों में बनी बेबीरानी मौर्य योगेंद्र उपाध्याय और एमएलसी धर्मवीर प्रजापति हैं तो कानपुर देहात जिले की चार सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है और तीन को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. कानपुर देहात से मंत्री बनने वालों में अजीत पाल, राकेश सचान और प्रतिभा शुक्ला मंत्री बनी हैं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के 403 सदस्यीय विधानसभा में 15 फीसदी के लिहाज से अधिकतम 60 मंत्री हो सकते हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ, दो उप-मुख्यमंत्रियों, 16 कैबिनेट मंत्रियों, 14 राज्य मंत्रियों और 20 राज्य मंत्रियों ने शुक्रवार को शपथ ली है. इस तरह 53 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया गया. ऐसे में सात मंत्रियों के बनाए जाने जाने की अभी भी योगी कैबिनेट में जगह बची हुई हैं. सूबे में जिन क्षेत्रों को जगह नहीं मिल पाई है, बीजेपी उन क्या उन क्षेत्रों से मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देने का दांव चल सकती है.
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