गुरुवार, 24 नवंबर 2022

पूर्व BJP विधायक को इलाहाबाद HC से झटका, मुजफ्फरनगर दंगा मामले में सजा पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के एक मामले पर सुनवाई करते हुए भाजपा विधायक विक्रम सैनी की सजा निलंबन याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के चलते निलंबित करना राष्ट्र हित और आम नागरिकों के हित में हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि सांप्रदायिक सद्धाव और सुशासन के लिए ऐसा करना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर दोषसिद्धी को निरस्त नहीं किया जा सकता कि धारा, 1951 के तहत आरोपी अयोग्य हो जाएगा।

विक्रम सैनी की याचिका खारिज करते हुए जस्टिस समित गोपाल ने आगे कहा कि आवेदक दंगा करने, घातक हथियारों से लैस होकर दंगा कराने, दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने, सरकारी कर्मचारियों को काम करने से रोकने और शांतिभंग करने जैसे आरोपों में दोषी पाया गया है। इससे कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने में दिक्कत हुई। 

कोर्ट ने कहा इसलिए जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 8 कुछ अपराधों में दोषसिद्धि होने पर अयोग्यता निर्धारित करती है। इस अधिनियम के तहत उन अपराधों का उल्लेख किया गया है जो स्वस्थ लोकतंत्र, राज्य की सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों के बीच शांति और सद्भाव को भंग करने क्षमता रखते हैं इससे पहले हाई कोर्ट ने मंगलवार को सैनी के वकील और राज्य सरकार के वकील को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।

सैनी के वकील ने दलील दी थी कि सैनी को राजनीतिक प्रतिशोध के कारण इस मामले में फंसाया गया था क्योंकि  प्रतिद्वंद्वी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार उस समय सत्ता में थी जब 2013 में मुजफ्फरनार दंगे हुए थे। उन्होंने दलील दी थी कि इस मामले का कोई सार्वजनिक गवाह उपलब्ध नहीं है। अपीलकर्ता के वकील की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि दोषसिद्धि के परिणामस्वरूप सैनी को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया है और उनकी विधानसभा सीट  खतौली  खाली हो गई है।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 के अनुसार वह 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते क्योंकि उन्हें अदालत ने दोषी ठहराया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से उनकी सजा को रद्द करने का अनुरोध किया था। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने दोषसिद्धि को निलंबित करने की प्रार्थना का विरोध किया था।

सैनी के वकील द्वारा दी गई सभी दलीलों को खारिज करते हुए अदालत ने 22 नवंबर को अपने आदेश में कहा कि जो आधार दिए गए हैं, वे किसी भी तरह से अदालत में अपील योग्य नहीं हैं। मामले की सुनवाई चल रही है जिसके बाद अपीलकर्ता को दोषी करार दिया गया है। ट्रायल कोर्ट ने सबूतों को भरोसेमंद पाया है। गौरतलब है कि खतौली विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव 5 दिसंबर को होना है। मुजफ्फरनगर के एमपी/एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने 11 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर के खतौली से विधायक चुने गए सैनी और 10 अन्य को 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित एक मामले में दो साल जेल की सजा सुनाई थी।

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