शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

रूस का सस्ता तेल अमेरिका को बेच रहा भारत, जानें क्या है पूरा मामला

रूस से तेल खरीद पर रोक लगाने के बाद अमेरिका ने देश में तेल की आपूर्ति को बनाए रखने के लिए भारत की ओर रुख किया है. मार्केट सूत्र के अनुसार, ग्लोबल ऑयल ट्रेडर्स  Vitol और  Trafigura दोनों ने भारतीय रिफाइनरी नायरा एनर्जी से 10 से 15 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से एक-एक कार्गो  वैक्यूम गैस ऑयल (VGO) खरीदा है. सूत्रों की मानें तो दिसंबर में यह कार्गो भारत के वादीनार पोर्ट से अमेरिका या यूरोप जाएगा. VGO एक प्रकार का कच्चा तेल है जिससे गैसोलिन और डीजल बनाया जाता है. 

इससे पहले Aframax tanker Shanghai Dawn ने भी रिलायंस इंडस्ट्रीज के जामनगर पोर्ट से कम से कम 80 हजार टन VGO खरीदा था. यह खेप अक्टूबर के अंत में या नवंबर की शुरुआत में अमेरिका पहुंचा था. 

पिछले साल की तुलना सप्लाई कई गुना बढ़ा

पिछले साल की तुलना में इस साल भारत ने अमेरिका को बहुत ही अधिक मात्रा में वैक्यूम गैस ऑयल की आपूर्ति की है. मई 2021 में अमेरिका ने भारत से जहां सिर्फ एक कार्गो VGO खरीदा था. वहीं, इस साल अमेरिका ने अभी तक कई खेप कार्गो VGO खरीद चुका है.

यूक्रेन युद्ध से पहले अमेरिका को सबसे ज्यादा VGO रूस निर्यात करता था. यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण रूस कई प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. अमेरिका और कनाडा ने रूस से तेल खरीद पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. वहीं, यूरोपियन यूनियन भी 5 दिसंबर और 5 फरवरी 2023 से रूस से तेल खरीद पर रोक लगाने जा रहा है. 

भारत रूस से भारी मात्रा में खरीद रहा है तेल
भारत दुनिया का तेल खरीदने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है. अमेरिका समेत पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बावजूद भारत रूस से भारी मात्रा में रियायत कीमतों के साथ कच्चे तेल खरीद रहा है. भारत इस कच्चे तेल को रिफाइन कर पश्चिमी देशों को महंगे दामों में निर्यात कर रहा है. 

भारत रिफायन तेल कर रहा है सप्लाई
चूंकि, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन द्वारा लगाया गया प्रतिबंध रिफाइन तेल पर लागू नहीं होता है. इसलिए अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश भारत को विकल्प के रूप में देख रहे हैं. वहीं, भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने भी रूस से रियायत कीमतों पर तेल खरीदना काफी बढ़ा दिया है. एक आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से अक्टूबर के बीच भारत ने रूस से 7 लाख 93 हजार बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल खरीदा है. जबकि इसी अवधि में पिछले साल आयात सिर्फ 38 हजार बैरल प्रतिदिन था.

लेबल: