बुधवार, 19 अप्रैल 2023

यूपी निकाय चुनाव: मुजफ्फरनगर में मुकाबला बेहद दिलचस्प, हारे जीते कोई भी बनेगा रिकॉड, जानें कैसे?

मुजफ्फरनगर में चुनावी रण में योद्धा उतर चुके है। राजनीतिक दलों के अलावा निर्दलीयों ने भी ताल ठोक दी है। मुजफ्फरनगर नगर पालिका परिषद के चुनावी संग्राम की बात की जाए तो मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। यह इसलिए कि हारे जीते कोई भी यह चुनाव अपने आप में एक रिकार्ड कायम करेगा। कारण भाजपा से लेकर सपा गठबंधन अथवा निर्दलीय प्रत्याशियों में से कोई भी जीते वह मुजफ्फरनगर की सियासत का नया अध्याय लिखेगा।

मुजफ्फरनगर पालिका परिषद के निकाय चुनाव में भाजपा ने गौरव स्वरुप की पत्नी मीनाक्षी स्वरुप पर दांव खेला है। वह इस बार चुनाव जीतती है दस साल बाद भाजपा अपनी खोयी सीट को दोबारा वापस पाने में कामयाब होगी। कारण कांग्रेस यहां लगातार दो निकाय चुनाव से जीत दर्ज करती आ रही है। दूसरे सीमा विस्तार के बाद शहर में करीब डेढ़ लाख मतदाता बढ़े है। दूसरे सपा रालोद और आजाद समाज पार्टी गठबंधन से सपा प्रत्याशी लवली शर्मा जीत दर्ज करती है तो मुजफ्फरनगर में सपा का पहला चेयपर्सन होने का गौरव भी लवली शर्मा का होगा।

कारण वर्ष 1995 में जब से सीधे जनता द्वारा पालिकाध्यक्ष चुने जाने लगे है सपा इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी है। इस बार गठबंधन का भी साथ है। बसपा ने रोशन जहां पर दांव खेला है। रोशन जहां के साथ ही पार्टी की बसपा की यह पहली जीत होगी। दूसरे कांग्रेस प्रत्याशी एडवोकेट बिलकीस चौधरी जीत दर्ज करती है तो यह बिलकिस के साथ ही कांग्रेस की हैट्रिक होगी। कांग्रेस इससे पहले वर्ष 2012 के निकाय चुनाव से मुजफ्फरनगर में जीत दर्ज करती आ रही है। वर्ष 2012 में पंकज अग्रवाल कांग्रेस के टिकट पर मुजफ्फरनगर का चेयरमैन बने थे। इसके बाद वर्ष 2017 के निकाय चुनाव में पार्टी में कांग्रेस से उनकी चाची अंजू अग्रवाल ने जीत हासिल की थी, हालांकि दो साल बाद वह भाजपा में शामिल हो गई थी।

इस बार भी वह भाजपा से टिकट के दावेदारों में शामिल थी लेकिन भाजपा ने मीनाक्षी स्वरूप पर दांव खेला। इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी जीत दर्ज करते है तो भी यह अपने आप में इतिहास होगा। इन सबसे अलग यह भी महज संयोग है कि लगातार दो बार मुजफ्फरनगर सीट महिला के लिए आरक्षित हो गयी। इसमें पहली बार ऐसा होने जा रहा है जिसमें लगातार दो बार महिला चेयरपर्सन मुजफ्फरनगर की बागडौर संभालेगी।

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