सोमवार, 4 अप्रैल 2022

PAK में पिक्चर अभी बाकी है... क्या स्पीकर के फैसले को पलटा जा सकता है? क्या कहते हैं संविधान विशेषज्ञ

स्टोरी हाइलाइट्स

  • स्पीकर के कदम से सहमत नहीं कानूनी विशेषज्ञ
  • सुप्रीम कोर्ट का रोल अब अहम
  • ...तो अदालतें कर सकती हैं हस्तक्षेप

Pakistan news: पाकिस्तान की सियासी हलचल पर आज दुनिया की नजर है. पाकिस्तान में रविवार को ऐसा पहली बार हुआ जब नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ लेकिन इस पर वोटिंग नहीं हुई. रविवार को सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव को 'असंवैधानिक' बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि ये अविश्वास प्रस्ताव 'विदेशी साजिश' है. 

डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने इसके लिए पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद-5 का हवाला दिया. इस संविधान के तहत पाकिस्तान के हर नागरिक का देश के प्रति वफादारी मूल कर्तव्य है. 

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में हुए इस घटनाक्रम का वहां विपक्षी पार्टियों ने जबर्दस्त विरोध किया है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज और एमक्यूएम ने डिप्टी स्पीकर के कदम को असंवैधानिक बताया है और इस कदम के खिलाफ वे पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं. पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं भी इस घटनाक्रम का संज्ञान लिया है. 

अब सवाल उठता है कि क्या डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी का ये कदम संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार है? क्या स्पीकर के इस निर्णय को बदला जा सकता है. इस सवाल का अलग अलग जवाब पाकिस्तान के विधि विशेषज्ञ दे रहे हैं. पाकिस्तान की प्रमुख मीडिया एजेंसी जिओ न्यूज संविधान विशेषज्ञ सरूप एजाज के हवाले से कहता है कि स्पीकर का ये फैसला गलत है.  

'अगर इरादा ठीक नहीं है तो अदालतें कर सकती है हस्तक्षेप'

सरूप एजाज ने कहा, "जब एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है और जब अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा है कि मतदान हो जाएगा, तो यह कदम संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना प्रतीत होता है," उन्होंने कहा कि , "अगर सदन के भीतर कोई गतिविधि दुर्भावनापूर्ण इरादे से और अधिकार से बाहर की जाती दिखती है तो अदालतें हस्तक्षेप कर सकती हैं," 

संविधान विशेषज्ञ सरूप एजाज कहते हैं कि, "अगर अदालत फैसला करती है कि यह वास्तव में गलत इरादे से किया गया है, तो उस मामले में प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय संसद को भंग करने की सलाह को अदालत अमान्य घोषित कर सकती है. क्योंकि तब ये स्पष्ट हो जाता है कि यह एक ऐसा प्रधानमंत्री है जिसके खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव आया है. उन्होंने आगे कहा कि अगर कोर्ट स्पीकर के इस कदम के खिलाफ फैसला करती है तो फिर से अविश्वास प्रस्ताव को वोटिंग के लिए लिया जाएगा.

'असंवैधानिक है नेशनल असेंबली भंग करने की सिफारिश'

पाकिस्तान के संवैधान विशेषज्ञ मुनीब फारूक प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली भंग करने की सलाह देने को पूरी तरह से असंवैधानिक बताते हैं. 

'कोई किंतु-परंतु नहीं, इमरान का फैसला असंवैधानिक'

पाकिस्तान की लीगल एक्सपर्ट रीमा कमर कहती हैं कि इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है स्पीकर का फैसला स्पष्ट रूप से असंवैधानिक है. ऐसी परिस्थिति में इमरान खान के पास राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली को भंग करने की सलाह देने का कोई अधिकार नहीं है. 

अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना गलत

पाकिस्तान के एक और संविधान विशेषज्ञ जिब्रान नासिर ने कहा कि यदि कोई भी कदम कानून के तहत गलत है तो उसके बाद उससे वाली और दूसरी कार्रवाई भी Null and void ही मानी जाएगी. एक गलती को खींचा नहीं जा सकता है.

अगर पीएम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित है तो वे नेशनल असेंबली विघटित करने की सिफारिश नहीं दे सकते हैं. अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना असंवैधानिक था और इसके माध्यम से प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति से संसद को भंग करने के लिए कहना भी संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है. 

अब सुप्रीम कोर्ट के हाथों संविधान की व्याख्या

पाकिस्तान के विधि विशेषज्ञों की राय जानने के बाद ये तो स्पष्ट है कि ज्यादातर कानूनी विशेषज्ञों ने डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के कदम को असवैधानिक बताया है. लेकिन अब सबकी निगाहें पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की ओर है. देखना होगा कि पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में इमरान खान की ओर से क्या दलील दी जाती है और पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या फैसला देता है. 

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source https://www.aajtak.in/world/story/pakistan-imran-khan-political-scene-speaker-verdict-supreme-court-legal-expert-on-speaker-decision-ntc-1440171-2022-04-04?utm_source=rssfeed

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