काशी-ज्ञानवापी मस्जिद केस: मुस्लिम पक्ष ने कमिश्नर पर लगाया पक्षपात का आरोप, हटाने की मांग

स्टोरी हाइलाइट्स
- कोर्ट ने सुनवाई का समय 2 बजे तय किया
- परिसर में आज भी होनी है वीडियोग्राफी
वाराणसी के काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे को लेकर हंगामा मचा हुआ है. जब से सर्वे की कार्रवाई शुरू हुई है, तब से विरोध प्रदर्शन जारी है. इस कार्रवाई को जहां AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कानून का उल्लंघन करने वाला बताया. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की है.
बता दें कि प्रतिवादी अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी की ओर से कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मांग वाला प्रार्थना पत्र सिविल जज सीनियर डिविजन के कोर्ट में पेश किया गया. मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि कोर्ट कमिश्नर की ओर से पक्षपात किया जा रहा है.
प्रार्थना पत्र में मांग की गई कि कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाकर माननीय न्यायालय स्वयं या उनकी जगह किसी दूसरे वरिष्ठ वकील को वकील कमिश्नर नियुक्त करे, ताकि निष्पक्ष न्याय हो. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई का समय 2 बजे तय किया है.
प्रार्थना पत्र में ये भी कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद वकील कमिश्नर मस्जिद के अंदर जाने की जिद कर रहे थे, जबकि ऐसा कोई आदेश माननीय न्यायालय ने नहीं दिया है.
बता दें कि सर्वे वाराणसी के सीनियर जज डिविजन के आदेश पर हो रहा है. शुक्रवार को जब सर्वे करने के लिए टीम यहां पहुंची तो दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी की गई थी. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में आज भी वीडियोग्राफी होनी है.
क्या है पूरा मामला
काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का केस भले ही वर्ष 1991 से वाराणसी के स्थानीय अदालत में चल रहा हो और फिर हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही हो, लेकिन मां श्रृंगार गौरी का केस महज साढ़े 7 महीने ही पुराना है. 18 अगस्त 2021 को वाराणसी की पांच महिलाओं ने बतौर वादी वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन-पूजन की मांग सहित अन्य मांगों के साथ एक वाद दर्ज कराया था, जिसको कोर्ट ने स्वीकार करते हुए न केवल मौके की स्थिति को जानने के लिए वकीलों का एक कमीशन गठित करने अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था. विपक्षियों को नोटिस जारी करने के साथ ही सुनवाई की अगली भी तय कर दी थी, लेकिन दो-दो बार कोर्ट कमिश्नर के बैकफुट पर चले जाने के चलते विवादित स्थल का मौका मुआयना नहीं हो सका था.
अगली सुनवाई 10 मई को होगी
वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक के जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने पुराने 18 अगस्त के ही आदेश को दोहराते हुए बीते 8 अप्रैल को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नियुक्त करते हुए कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करने की फिर से अनुमति दे दी थी. इसके बाद प्रतिवादियों में से वाराणसी जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कार्रवाई को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था और मस्जिद में मुस्लिमों और सुरक्षाकर्मियों के ही जाने की दलील दी थी, जिसपर कोर्ट ने सुनवाई के बाद दलील को खारिज करते हुए अपने पुराने आदेश के जारी रखते हुए ईद के बाद कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करके 10 मई के पहले तक रिपोर्ट मांगी है और सुनवाई की तारीख भी 10 मई नियत कर दी है.
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