मंगलवार, 17 जनवरी 2023

अलनूर मीट प्लांट प्रकरण: पूर्व भाजपा विधायक उमेश मलिक सहित 16 हिंदूवादी नेता बरी

मुजफ्फरनगर में 18 वर्ष पूर्व अलनूर मीट प्लांट में तालाबंदी कर पुलिस पर हमला और तोड़फोड़ करने के मामले में सुनवाई मंगलवार को हुई। कोर्ट ने पूर्व भाजपा विधायक उमेश मलिक सहित 16 हिंदूवादी नेताओं को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
थाना सिखेड़ा के दारोगा इंदल सिंह ने आरोप लगाया था कि 10 अगस्त 2006 को अलनूर मीट प्लांट बंद कराने की मांग की जा रही थी। इसको लेकर यज्ञमुनि की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति सदस्यों ने अलनूर मीट प्लांट गेट के बाहर हवन-यज्ञ प्रारंभ कर दिया था। उसी क्रम में 14 अगस्त 2006 को यज्ञमुनी ने अपने समर्थकों सहित फैक्ट्री गेट पर आने जाने वाले वाहनों को रोक दिया था। इस मामले में जब पुलिसकर्मियों ने लोगों को समझाया तो उन्होंने अपने समर्थकों सहित पुलिस पर हमला बोल दिया था। मारपीट में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इस दौरान तोड़फोड़ व आगजनी की गई थी। मारपीट, तोड़फोड़ और बलवा तथा सरकारी कार्य में बाधा डालना एवं 7 क्रिमिनल एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
मामले में पूर्व विधायक समेत 16 लोग हुए थे नामजद
मुकदमे में पूर्व विधायक उमेश मलिक, तत्कालीन शिवसेना नेता ललित मोहन शर्मा, हिंदूवादी नेता नरेंद्र पवार, रामानुज दुबे आरएसएस के संजय अग्रवाल, राजेश गोयल, राजीव मित्तल, ओमकार तोमर, वेदवीर, मामचंद, पप्पू, ब्रज कुमार चंद्रपाल और राजेश्वर समेत 16 लोगों के नाम शामिल हैं।

एमपी-एमएलए कोर्ट ने किया बरी
बचाव पक्ष के अधिवक्ता एडवोकेट श्यामवीर सिंह का कहना है कि मामले की सुनवाई विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 3 गोपाल उपाध्याय की कोर्ट में हुई। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद और पेश सबूत के आधार पर मंगलवार को एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायधीश गोपाल उपाध्याय ने फैसला सुनाते हुए साक्ष्य के अभाव में सभी 16 आरोपियों को बरी कर दिया।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता (एडवोकेट श्यामवीर सिंह, एडवोकेट बिजेन्दर सिंह मलिक) ने बताया कि थाना सिखेड़ा क्षेत्र के गांव नेराना में अलनूर मीट प्लांट को लेकर 2006 में काफी हंगामा हुआ था। उन्होंने बताया कि इस मामले में 14 अगस्त 2006 को सब इंस्पेक्टर इंदल सिंह ने पूर्व विधायक उमेश मलिक सहित 16 लोगों के विरुद्ध संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। थाना सिखेड़ा के दारोगा इंदल सिंह ने मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि 10 अगस्त 2006 को अलनूर मीट बंद कराने की मांग की जा रही थी। जिसको लेकर यज्ञमुनि की अध्यक्षता में 10 सदस्य समिति का गठन किया गया था। समिति सदस्यों ने अलनूर मीट प्लांट गेट के बाहर हवन-यज्ञ प्रारंभ कर दिया था।
  
1- बचाव पक्ष की ओर से यह भी तर्क दिया गया है कि आरोपित अभियुक्तगण मौके पर उपस्थित नहीं थे और न ही वे कथित संगठनों के पदाधिकारी थे, जिन्होंने फैक्ट्री पर हल्ला बोलने का आहवान किया था। उन्हें राजनीति के कारण झूठा फंसाया गया है। जबकि अभियोजन की ओर से कहा गया है कि यज्ञमुनि दिनांक 10.08.2006 से फैक्ट्री के गेट के सामने फैक्ट्री बंद कराने के दबाव के लिए हवन कर रहे थे और दबाव में न आने पर हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा 21.08.2006 को फैक्ट्री पर तालाबंदी हेतु हल्ला बोल का आहवान किया।

2- बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया है कि अभियुक्तगण से कोई लाठी, डण्डा आदि बरामद नहीं हुआ है और पुलिस द्वारा झूठा ही अभियुक्तगणों द्वारा लाठी डण्डा लेना कहा है तथा सारी कार्यवाही थाने पर बैठकर किया जाना कहा है।


लेबल: