...यूपी की वो सीटें जहां मोदी-योगी की लहर भी नहीं बचा सकी BJP उम्मीदवारों की जमानत

स्टोरी हाइलाइट्स
- 2017 चुनाव की तुलना में कम हुई जमानत जब्त
- राजा भैया के खिलाफ बीजेपी की जमानत जब्त
- रसड़ा में बसपा के सामने बीजेपी की जमानत नहीं बची
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी गठबंधन ने 273 सीटों के साथ शानदार जीत दर्ज की है. बीजेपी 255 सीट जीतने में कामयाब रही तो सहयोगी अपना दल (एस) 12 और निषाद पार्टी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की है. बीजेपी की इस लहर में भी सूबे की तीन सीटें ऐसी थीं, जहां पर बीजेपी नेता अपनी जमानत नहीं बचा सके. हालांकि, इस बार बीजेपी की ओर से जमानत न बचा पाने वाले उम्मीदवारों की संख्या कम है जबकि 2017 में बीजेपी के पांच नेताओं की जब्त हुई थी.
कुंडा: राजा भैया के सामने नहीं बची बीजेपी की जमानत
प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा सीट पर जनसत्ता पार्टी के उम्मीदवार रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया विधायक बने हैं. कुंडा सीट पर राजा भैया के खिलाफ सपा से गुलशन यादव, बीजेपी से सिंधुजा मिश्रा सेनानी मैदान में उतरी थीं, लेकिन मुकाबला सपा और राजा भैया के बीच रचा और बीजेपी रेस से बाहर थी. राजा भैया को 99612 वोट (50.58 फीसदी ) मिले हैं जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी गुलशन यादव को 69297 वोट (35.19 फीसदी) मिले. बीजेपी की सिंधुजा मिश्र सेनानी को महज 16455 (8.36 फीसदी) वोट ही मिले हैं. राजा ने 30,315 वोटों से सपा को मात दी है. इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई है.
रसड़ा: उमाशंकर के सामने बीजेपी की जमानत जब्त
बलिया जिले की रसड़ा विधानसभा सीट से बसपा उम्मीदवार उमाशंकर सिंह विधायक बने हैं और बीजेपी तीसरे नंबर पर रही. रसड़ा सीट पर मुकाबला बसपा के उमाशंकर सिंह और सुभासपा उम्मीदवार महेंद्र के बीच रहा जबकि बीजेपी के बब्बन रेस से बाहर थे. बसपा के उमाशंकर सिंह 87887 वोट (43.82 फीसदी) के साथ जीते जबकि सुभासपा के महेंद्र 81304 वोट (40.54 फीसदी) लाकर दूसरे स्थान पर रहे. वहीं, बीजेपी के बब्बन को महज 24,235 वोट ही मिला. यह कुल वोट प्रतिशत का 12.08 फीसदी रहा. इस कारण उन्हें इस सीट पर अपनी जमानत गंवानी पड़ी.
मल्हानी: बीजेपी प्रत्याशी कृष्ण प्रताप की जमानत जब्त
जौनपुर जिले की मल्हनी विधानसभा सीट पर बीजेपी को करारी हार का सामना ही नहीं करना पड़ा, बल्कि जमानत तक नहीं बच सकी है. मल्हानी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण प्रताप सिंह केपी को चौथा स्थान हासिल हुआ. यहां पर सपा प्रत्याशी लकी यादव और जेडीयू उम्मीदवार धनंजय सिंह के बीच मुकाबला रहा. लकी यादव 97357 वोट (42.57 फीसदी) हासिल कर विधायक बने हैं तो धनंजय सिंह 79830 वोट (34.91 फीसदी) पाकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि तीसरे स्थान पर बसपा के शैलेंद्र यादव ने 24,007 वोट हासिल किए. वहीं, बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण प्रताप (केपी) को महज 18319 वोट (8.01 फीसदी) ही मिल सके. इस तरह से वो अपनी जमानत नहीं बचा सके.
2017 में पांच तो 2022 में तीन की जमानत जब्त हुई
दरअसल, किसी भी विधानसभा सीट पर जमानत बचाने के लिए 16.66 फीसदी (1/6) वोट हासिल करना जरूरी होता है. ऐसे में जमानत बचाने के मामले में बीजेपी का रिकॉर्ड 2017 के चुनाव की तुलना में 2022 में बेहतर रहा. साल 2017 में बीजेपी की 5 सीटों पर जमानत जब्त हुई थी, जिसमें बदायूं जिले की सहसवान, अमेठी जिले की गौरीगंज सीट, रायबरेली सीट, हाथरस की सादाबाद सीट और प्रयागराज की सोरांव सीट थी. वहीं, इस बार बीजेपी की जमानत जब्त होने वाली कुंडा, रसड़ा और मल्हानी सीट है. इन तीनों सीटों पर एक बात सामान्य है कि विपक्षी दल के कैंडिडेट ठाकुर समुदाय से थे.
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