गुरुवार, 30 जून 2022

हत्या के मामले में दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास

थाना सिविल लाइन क्षेत्र में युवक की हत्या के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट नम्बर 3 के न्यायाधीश ने दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने प्रत्येक अभियुक्त पर 67 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

वर्ष 2010 में थाना सिविल लाइन क्षेत्र में अभियुक्त बंटी उर्फ विनित निवासी राजपुर तिलौरा थाना जानसठ हाल निवासी जाट कालोनी व अकुंर उर्फ तोता निवासी खेडी दूधाधारी थाना तितावी हाल निवासी दक्षिणी सिविल लाइन ने राहुल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। राहुल के चाचा ओमवीर ने थाना सिविल लाइन में दोनों अभियुक्तों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट नम्बर 3 में हुई। फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश ने दोनों अभियुक्तों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने प्रत्येक अभियुक्त पर 67 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

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एकनाथ शिंदे होंगे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, देवेंद्र फडणवीस ने किया ऐलान

स्टोरी हाइलाइट्स

  • महाराष्ट्र के सीएम बनेंगे एकनाथ शिंदे
  • उद्धव ठाकरे ने बुधवार को दिया था इस्तीफा

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के बाद देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने एलान किया कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेंगे. 
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जनता ने महाविकास अघाड़ी को बहुमत नहीं दिया था. चुनाव के बाद बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी. बीजेपी-शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. इस दौराना शिवसेना ने बाला साहेब ठाकरे के विचारों को भी ताक पर रख दिया. 

इस दौरान फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि सरकार के दो-दो मंत्री जेल में हैं. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. बालासाहेब ने हमेशा दाउद का विरोध किया, लेकिन उद्धव सरकार का एक मंत्री दाउद से जुड़ा हुआ है. जेल में जाने के बाद भी उसे मंत्री पद से हटाया नहीं गया. ये बाला साहेब का अपमान है. आखिरी समय में संभाजी नगर किया गया है. 

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यूपी में पशुओं को छुट्टा छोड़ने वालों की खैर नहीं, पशु क्रूरता अधिनियम के तहत दर्ज होगी FIR

यूपी में जानवरों को छुट्टा छोड़ने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। यूपी के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह के मुताबिक  जानवरों को छुट्टा छोड़ने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।  धर्मपाल सिंह के मुताबिक छुट्टा छोड़ने वालों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने ये भी ऐलान किया कि 3 लाख से ज्यादा छुट्टा पशुओं को आश्रय स्थल भेजा जाएगा। 

उन्होंने कहा कि दिसंबर में सभी छुट्टा पशुओं को आश्रय स्थल पर भेजा जाएगा। फिलहाल यूपी सरकार के पास राज्य में 6222 आश्रम स्थल है जहां करीब 8.5 लाख गायों को रखा गया है। धर्मपाल सिंह ने ट्वीट कर कहा- ग्रामीण इलाकों में निराश्रित और आवारा पशुओं की बड़ी सख्या खत्म होने वाली है। योगी सरकार ने इसकी योजना बना ली है। दिसंबर 2022 तक सड़कों, खेतों और सार्वजनिक स्थलों पर निराश्रित पशु नहीं दिखाई देंगे। विकास खंड स्तर पर इसके लिए कान्हा पशु उपवन का निर्माण शुरू किया जा रहा है।

गौरतलब है कि यूपी चुनाव से पहले आवारा पशुओं का मुद्दा काफी गरमाया था। उस दौरान विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि चुनाव पहले तो आवारा गायों को लेकर इतने वादे किए गए लेकिन सरकार ने उनमें से किसी वादे को पूरा नहीं किया।

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57 साल के सबसे निचले स्तर पर पानी, कहीं 'सरस्वती' न बन जाए यमुना?

स्टोरी हाइलाइट्स

  • 1965 के बाद 666.80 फीट पर यमुना का जलस्तर
  • लगभग पूरी दिल्ली में हो सकती है पानी की किल्लत

अगले कुछ सालों में कही दिल्ली की यमुना नदी (Yamuna River) प्रयागराज के संगम में लापता सरस्वती नदी (Saraswati River) की तरह गायब न हो जाए. क्योंकि यहां जलस्तर लगातार घटता जा रहा है. पिछले 57 साल में दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है. ऐसा 1965 के बाद हुआ है. जलस्तर नीचे जाने की वजह से दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) को दिल्लीवासियों के लिए पानी की कमी से संबंधित चेतावनी जारी करनी पड़ी. 

बुधवार यानी 29 जून 2022 को यमुना का जलस्तर अपने निचले स्तर 666.80 फीट पर था. 1965 के बाद यह इतनी नीचे गया है. नदी का यह जलस्तर देखकर दिल्ली जल बोर्ड ने कहा कि उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में गुरुवार यानी 30 जून 2022 को पानी का संकट हो सकता है. इसके अलावा नई दिल्ली और दिल्ली कैंटोनमेंट के कुछ इलाकों में भी पानी सप्लाई बाधित हो सकती है. दिल्ली में पिछले दो महीने से पानी का संकट हो रहा है. पहली बार इस समस्या की शुरुआत अप्रैल में हुई थी. 

अगर हरियाणा ने यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा तो दिल्ली को पानी के भारी संकट का सामना करना पड़ेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
अगर हरियाणा ने यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा तो दिल्ली को पानी के भारी संकट का सामना करना पड़ेगा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी) 

इस महीने की शुरुआत में वज़ीराबाद (Wazirabad) में जलस्तर 667.6 फीट चला गया था. जबकि, सामान्य जलस्तर 674.5 फीट है. वजीराबाद बराज पर यमुना का जलस्तर 667 फीट के चिन्ह से मात्र 0.6 फीट ही ऊपर था. इससे पहले ऐसा डेटा साल 1965 में दर्ज किया गया था. जल बोर्ड के मुताबिक दिल्ली सब ब्रांच और कैरियर लाइन चैनल में पानी की कमी हो रही है. जिसकी वजह से चंद्रवाल और वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी की भारी कमी है. 

हरियाणा पानी नहीं छोड़ेगा तो दिल्ली को होगी दिक्कत

अगर हरियाणा पर्याप्त मात्रा में यमुना में पानी नहीं छोड़ता है आने वाले दिनों में दिल्ली को पानी के संकट से जूझना पड़ सकता है. सब ब्रांच और कैरियर लाइन चैनल के पॉन्ड का लेवल 666.80 फीट है, जबकि सामान्य स्तर है 674.50 फीट. दिल्ली के जिन इलाकों में पानी का फोर्स कम रहेगा वो हैं- सिविल लाइंस, हिंदू राव हॉस्पिटल के आसपास का इलाका, कमला नगर, शक्ति नगर, करोलबाग, पहाड़गंज, एनडीएमसी के इलाके, पुराना और नया राजेंद्रनगर, ईस्ट और वेस्ट पटेल नगर, बलजीत नगर, प्रेम नगर, इंद्रपुरी, कालकाजी, गोविंदपुरी, तुगलकाबाद, संगम विहार, अंबेडकर नगर, प्रहलादपुर, रामलीला मैदान, दिल्ली गेट, सुभाष पार्क, मॉडल टाउन, गुलाबी बाग, पंजाबी बाग, जहांगीरपुरी, मूलचंद, साउथ एक्सटेंशन, ग्रेटर कैलाश, डिफेंस कॉलोनी, बुरारी और कैंटोनमेंट. 

यमुना नदी में कई स्थानों पर पानी खत्म हो गई है, रेतीली जमीन दलदली सी बची है. (प्रतीकात्मक फोटोः AFP)
यमुना नदी में कई स्थानों पर पानी खत्म हो गई है, रेतीली जमीन दलदली सी हो गई है. (प्रतीकात्मक फोटोः AFP)

क्या है दिल्ली में पानी की कमी अन्य वजहें? 

विज्ञान कहता है कि नदियां और जमीन के नीचे का जलस्तर आपस में एकदूसरे की पूरक होती है. एकदूसरे की कमी को पूरा करती है. अगर इसी तरह जमीन से पानी खींचते रहे तो नदी का पानी और अंडरग्राउंड पानी दोनों ही खत्म हो जाएंगे. दिल्ली एक खोखले जमीन के टुकड़े पर बसी राजधानी बनकर रह जाएगी. 

क्या थी IIT बॉम्बे और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की स्टडी?

दिल्ली-NCR में जमीन के अंदर से इतना ज्यादा पानी निकाला जा रहा है कि इसके कुछ हिस्से भविष्य में कभी भी धंस सकते हैं. दिल्ली-NCR का करीब 100 वर्ग KM का इलाका धंसने की हाई रिस्क जोन में है. यह स्टडी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के पीएचडी शोधार्थी शगुन गर्ग, IIT Bombay से प्रो. इंदू जया, अमेरिका की साउदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के वामशी कर्णम और जर्मन सेंटर फॉर जियोसाइंसेस के प्रो. महदी मोटाघ ने किया था. शगुन गर्ग ने बताया था कि उनका डेटा अक्टूबर 2014 से लेकर जनवरी 2020 तक का है. शगुन ने बताया कि भूस्खलन मिलिमीटर और सेंटीमीटर में होता है. यह इतना धीमा होता है कि पता नहीं चलता. 

दिल्ली के ये इलाके ज्यादा खतरे में... न पानी मिलेगा, न बचेगी जमीन

दिल्ली-NCR का कापसहेड़ा, महिपालपुर, दिल्ली-गुरुग्राम ओल्ड रोड और फरीदाबाद में स्थिति काफी बुरी है. दिल्ली-NCR में ग्राउंडवाटर तेजी से कम हो रहा है. पानी का स्तर किस लेवल पर कम हो रहा है, इसकी जांच तो भारतीय वैज्ञानिक संस्थाओं को करनी चाहिए. हम तो यह स्टडी करके लोगों को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर ऐसे ही जमीन के अंदर से पानी निकालते रहेंगे तो कहीं कोई इलाका धंस कर नीचे चला जाएगा. कहीं कोई इलाका ऊपर बढ़ जाएगा. अगर यह किसी रिहायशी इलाके में हुआ तो इमारतें गिर सकती हैं. सड़कों पर दरारें पड़ सकती हैं.

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फडणवीस सरकार में शिंदे डिप्टी सीएम, 12 बागियों को भी इनाम, आई कैबिनेट की संभावित लिस्ट

स्टोरी हाइलाइट्स

  • महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है
  • शिवसेना के 12 बागी विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है

महाराष्ट्र में अब नई सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है. यह लगभग तय माना जा रहा है कि अब राज्य में भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे का गुट मिलकर सरकार बनाएगा. इस बीच मंत्रियों की संभावित लिस्ट भी सामने आई है, जिनको देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट में जगह मिल सकती है. लिस्ट के हिसाब से एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. वहीं शिवसेना के 12 बागी विधायकों को भी इनाम में मंत्रिपद मिल सकता है.

फिलहाल मुंबई में भारतीय जनता पार्टी और गोवा में एकनाथ शिंदे गुट की बैठकें चल रही हैं. शिंदे आज गोवा से मुंबई पहुंचेंगे. वह अपने साथ बागी विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन पत्र भी लेकर आएंगे.


महाराष्ट्र कैबिनेट में बीजेपी से किसे मिल सकती है जगह?

  • देवेंद्र फडणवीस - (मुख्यमंत्री)
  • चंद्रकांत पाटिल
  • सुधीर मुनगंटीवार
  • गिरीश महाजन
  • आशीष शेलार
  • प्रवीण दारेकर
  • चंद्रशेखर बावनकुले
  • विजयकुमार देशमुख या सुभाष देशमुख
  • गणेश नाइक
  • राधाकृष्ण विखे पाटिल
  • संभाजी पाटिल निलंगेकर
  • मंगल प्रभात लोढ़ा
  • संजय कुटे
  • रवींद्र चव्हाण
  • डॉ. अशोक उइके
  • सुरेश खाडे
  • जयकुमार रावल
  • अतुल सावे
  • देवयानी फरांडे
  • रणधीर सावरकर
  • माधुरी मिसाल

बीजेपी से इनको बनाया जा सकता है राज्य मंत्री

  • प्रसाद लाड
  • जयकुमार गोरे
  • प्रशांत ठाकुर
  • मदन येरावर
  • महेश लांडगे या राहुल कुल
  • निलय नाइक
  • गोपीचंद पडलकर
  • बंटी बंगाड़िया

एकनाथ शिंदे ग्रुप से किसे बनाया जा सकता है कैबिनेट मंत्री

  • एकनाथ शिंदे - (उपमुख्यमंत्री)
  • गुलाबराव पाटिल
  • उदय सामंत
  • दादा भुसे
  • अब्दुल सत्तार
  • संजय राठौड़
  • शंभूराज देसाई
  • बच्चू कडु
  • तानाजी सावंतो

एकनाथ गुट से इन्हें बनाया जा सकता राज्य मंत्री

  • दीपक केसरकर
  • संदीपन भुमरे
  • संजय शिरसात
  • भारत गोगावले

फिलहाल महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास सागर बंगले में बीजेपी कोर कमेटी की बैठक चल रही है. बैठक में महाराष्ट्र भाजपा प्रभारी सीटी रवि, पार्टी नेता चंद्रकांत पाटिल, गिरीश महाजन, प्रवीण दरेकर और अन्य मौजूद हैं.

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अखिलेश यादव पर जमकर बरसे ओम प्रकाश राजभर, कहा-उनके नेतृत्व में सपा को एक भी चुनाव में नहीं मिली जीत

आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव (Rampur-Azamgarh By-election) में मिली हार के बाद अखिलेश यादव अपनी ही सहयोगी पार्टियों के निशाने पर आ गए हैं। खास तौर पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) मुखिया ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) अखिलेश यादव के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं। उपचुनाव में मिली हार के बाद राजभर ने अखिलेश यादव को एसी कमरे से निकलकर राजनीति करने तक की सलाह दे डाली। राजभर ने यहां तक कह दिया कि जब से अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का नेतृत्व संभाला है तब से उनकी पार्टी को किसी चुनाव में जीत नहीं मिली है।

पिता की वजह से बने सीएम

राजभर यहीं नहीं रुके, उन्होंने ये भी कहा कि अखिलेश यादव अपने दम पर नहीं बल्कि अपने पिता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav)  की कृपा से साल 2012 में सीएम बने। उन्होंने कहा अखिलेश यादव के नेतृत्व में 2014 हो, 2017 हो, 2019 हो, 2022 हो या फिर एमएलसी चुनाव सिर्फ और सिर्फ हार का ही  मुंह देखना पड़ा है।

अखिलेश-मायावती को साथ आने की सलाह

ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती को साथ आने की सलाह दी है। राजभर ने कहा कि आज अखिलेश यादव और मायावती दोनों एक दूसरे को दबाने और खत्म करने में जुटे हुए हैं जबकि उन्हें साथ आना चाहिए। राजभर ने मायावती को लेकर भी कहा कि मायावती बहुत खुश हैं कि बीजेपी जीत गई और सपा हार गई। लेकिन ये दोनों पार्टियों के लिए सीख है कि चुनाव लड़ना है तो कायदे से लड़िए और समाज को गुमराह मत कीजिए। राजभर ने ये भी कहा कि अगर सपा और बसपा दलितों और पिछड़ों को न्याय दिलाना चाहते हैं तो इन्हें साथ मिलकर लड़ना होगा।

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बुधवार, 29 जून 2022

IIT Kanpur convocation: आईआईटी कानपुर का दीक्षांत समारोह, कानपुर के प्रतीक और अतिन का दबदबा

आईआईटी के 55वें दीक्षांत समारोह में एक ओर जहां डिग्री व मेडल पाकर छात्र-छात्राएं खिल उठे वहीं पूरे समारोह में कानपुर के दो मेधावियों का दबदबा रहा। शहर के छात्र प्रतीक यादव को डायरेक्टर गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया तो अतिन विक्रम सिंह को रतन स्वरुप मेमोरियल प्राइज मिला। वहीं, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के छात्र शाश्वत गुप्ता को प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। प्रियदर्शी सिंह को चार वर्षीय वर्ग में डायरेक्टर गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। कोप्पर्थी वेंकट स्रता को बेस्ट आलराउंडर गर्ल्स स्टूडेंट के अवार्ड से सम्मानित किया गया। 

55वें दीक्षांत समारोह का शुभारंभ शोभा यात्रा के साथ हुआ। मुख्य अतिथि नारायन हृदयालय के चेयरमैन पदम भूषण डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में उपस्थित रहे। संस्थान के बीओजी चेयरमैन डॉ. राधाकृष्णन व निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने सभी मेधावियों को पदक व पुरस्कार से सम्मानित किया। 51 श्रेणियों में छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल दिए गए। वहीं 21 उत्कृष्ट पीएचडी थीसिस के लिए छात्रों को सम्मानित किया गया।

संस्थान के दो प्रोफेसर को भी सम्मानित किया गया। जिसमें मैथमेटिक्स एंड स्टैटिक्स विभाग की प्रो. दूतिका वत्स को सुशीला एंड कांतीलाल मेहता अवार्ड और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. संजय मित्तल को गोपाल दास भंडारी मेमोरियल प्रतिष्ठित टीचर अवार्ड से सम्मानित किया गया। कुल 1360 छात्र-छात्राओं डिग्री मिली। इनमें 929 को ग्रेजुएशन, 226 को पोस्ट ग्रेजुएशन और 122 बच्चों को पीएचडी की डिग्री मिली।

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शरीर पर 26 वार, गर्दन पर 10 गहरे जख्म... सामने आई कन्हैयालाल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट

Udaipur tailor Kanhaiyalal Murder: उदयपुर के भूतमहल इलाके में मंगलवार दोपहर कपड़ों का नाप देने के बहाने आए मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने टेलर कन्हैयालाल की बेरहमी से हत्या कर दी थी. 

दुकान में घुसकर टेलर कन्हैयालाल की हत्या कर दी गई थी.

राजस्थान के उदयपुर में मारे गए टेलर कन्हैया लाल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़े खुलासे हुए हैं. कन्हैया लाल के शरीर पर 26 वार किए गए थे और गर्दन पर जगह-जगह काटे जाने के भी निशान मिले हैं.  शहर के धानमंडी थाना इलाके में सोमवार को दो लोगों मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने एक दर्जी की हत्या कर दी थी.  इसके बाद दोनों ने वीडियो शेयर कर कहा कि ये इस्लाम के अपमान का बदला लेने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया गया. पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

घटना के बाद रात 8 बजे उदयपुर के सात थाना क्षेत्रों में अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा दिया गया है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है. 

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उदयपुर: धमकी, कत्ल और वीडियो.. 10 प्वाइंट में समझें कन्हैयालाल मर्डर केस की पूरी कहानी

स्टोरी हाइलाइट्स

  • नाप देने के बहाने टेलर कन्हैया लाल का मर्डर
  • नुपूर शर्मा के समर्थन में बेटे ने किया था पोस्ट

राजस्थान के उदयपुर में एक कन्हैया लाल नाम के शख्स की निर्मम हत्या कर दी गई है. हत्यारों ने टेलर कन्हैया की खौफनाक तरीके से गर्दन काट दी. बताया जा रहा है कि 10 दिन पहले कन्हैया लाल के बेटे ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेत्री रहीं नूपुर शर्मा के समर्थन वाला एक पोस्ट शेयर कर दिया था. आइए जानते हैं इस पूरे हत्याकांड की इनसाइड स्टोरी-

राजस्थान के उदयपुर से हत्या के एक वीडियो ने पूरे देश को दहला दिया है. अब तक जो कहानी सामने आ रही है, वो यही है कि ये हत्या पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ़ टिप्पणी करने वाली नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने पर की गई है. उदयपुर शहर के धानमंडी थाना क्षेत्र की मालदीस स्ट्रीट में तीन लोगों ने एक कन्हैया लाल नाम के टेलर का सिर कलम कर दिया. 

10 प्वाइंट में समझे कन्हैया लाल मर्डर केस की इनसाइड स्टोरी

1. कन्हैयालाल ने 15 जून को पुलिस को दिए शिकायत पत्र में लिखा था कि 5-6 दिन पहले मोबाइल पर इंटरनेट के जरिए उनके बेटे से गेम खेलते वक्त आपत्तिजनक पोस्ट हो गई थी. लेकिन दो दिन बाद कुछ लोग उनके दुकान पर आए और मोबाइल से आपत्तिजनक पोस्ट के बारे में जानकारी दी. इसके बाद मैंने पोस्ट डिलीट कर दी. 

2. कन्हैयालाल ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि नाजिम और उसके साथ 5 लोग उसकी दुकान की रेकी कर रहे हैं. मुझे दुकान नहीं खोलने दे रहे हैं. मेरी दुकान खुलते ही ये लोग मुझे जान से मारने की कोशिश करेंगे. नाजिम ने मेरा फोटो समाजग्रुप में वायरल कर दिया है. सबसे कह दिया है कि ये व्यक्ति अगर कहीं दिखे या दुकान पर आए तो जान से मार देना.

3. कन्हैयालाल की शिकायत के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों का समझौता करा दिया था. हालांकि, इसके बावजूद आरोपी कपड़े सिलवाने के बहाने कन्हैयालाल की दुकान में पहुंचे और वहां उनकी हत्या कर दी. उदयपुर में भूतमहल के पास कन्हैया लाल की सुप्रीम टेलर्स नाम से दुकान है. कन्हैया लाल गोर्वधन विलास इलाके का रहने वाले थे. 

4. कन्हैया की हत्या से पहले आरोपी रियाज ने एक वीडियो बनाकर सिर कलम करने की धमकी दी थी. वीडियो में रियाज मोहम्मद कहता है, 'ये वीडियो मैं जुमे के दिन बना रहा हूं. 17 (जून) तारीख है. इस वीडियो को उस दिन वायरल करूंगा, जिस दिन अल्लाह की शान में गुस्ताखी करने वाले शख्स का सिर कलम कर दूंगा.'

5. मंगलवार (28 जून) की दोपहर 3 से 3.30 के बीच आरोपी टेलर की दुकान पर आए. पहले कन्हैयालाल को बातचीत में उलझाया. फिर कहा, कपड़े का नाप देना है. नाप देते वक्त जैसे ही कन्हैयालाल पलटे पीछे से आरोपियों ने धारदार हथियार से हमला कर दिया. कन्हैयालाल की मौके पर मौत हो गई. वारदात के बाद दोनों ने एक और वीडियो बनाया और हत्या को कबूल किया.

6. उदयपुर में भूतमहल के पास कन्हैयालाल की सुप्रीम टेलर्स नाम से दुकान है. कन्हैयालाल गोर्वधन विलास इलाके का रहने वाला था. 6 दिनों से उसने अपनी टेलर्स की दुकान भी नहीं खोली थी और मंगलवार को जब कन्हैया ने दुकान खोली, तो हत्यारों ने कपड़े सिलवाने के बहाने उसकी निर्मम हत्या कर दी.

7. कन्‍हैया लाल की हत्‍या का एक आरोपी मोहम्‍मद रियाज अंसारी भीलवाड़ा जिले के आसींद का रहने वाला है. उसके पिता जब्‍बार मोहम्‍मद लुहार की 2001 में मौत हो गई थी. इसके बाद रियाज अंसारी की उदयपुर में शादी हो गई. शादी के बाद 21 साल से वह उदयपुर में ही रह रहा था. रियाज के 3 भाई अभी आसींद में और 3 भाई अजमेर में रहते हैं.

8. रियाज के अलावा दूसरा आरोपी गोस मोहम्मद है. गोस मोहम्मद उदयपुर के खांजीपीर इलाके का रहने वाला है. राजस्थान में इस हत्या की वारदात के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए हैं. पुलिस ने दोनों आरोपियों को राजसमंद जिले के भीमा इलाके से गिरफ्तार कर​ लिया है.

9. पूरे उदयपुर में इस हत्या के खिलाफ़ जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. शहर के 5 इलाकों में बाजार बंद कर दिए गए हैं. इंटरनेट बंद है और कर्फ्यू जैसे हालात हैं. इस मामले पर सीएम अशोक गहलोत ने सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

10. उदयपुर मामले की जांच के लिए NIA मौके पर पहुंच गई है. NIA की 4 सदस्यीय टीम जांच के लिए उदयपुर भेजी गई है. टीम में सीनियर रैंक के अधिकारी मौजूद हैं. इस मामले में क्योंकि जिहादी ग्रुप के सक्रिय होने का अनुमान लगाया जा रहा है, ऐसे में IB के अधिकारी केंद्रीय एजेंसी के साथ मिलकर मामले की तफ्तीश करने जा रहे हैं.

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उदयपुर: गला काटकर हत्या करने वाले दोनों आरोपी गिरफ्तार, इंटरनेट बंद, कर्फ्यू लगा

स्टोरी हाइलाइट्स

  • नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने पर की गई हत्या
  • मृतक के 8 साल के बेटे ने सोशल मीडिया पर की थी पोस्ट

Udaipur Kanhaiya Lal Murder: राजस्थान के उदयपुर में दिनदहाड़े हुई युवक की हत्या के बाद पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई है. युवक की बेरहमी से हत्या करने वाले दोनों आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. एहतियात के तौर पर उदयपुर, दौसा और अजमेर का इंटरनेट बंद कर दिया गया है.

उदयपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. पुलिस-प्रशासन से लेकर राज्यपाल और सीएम तक लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं. वहीं, वारदात के बाद हिंदू संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

घटना के बाद जांच के लिए SIT का गठन किया गया है. इसमें एसओजी एडीजी अशोक राठौड़, एटीएस आईजी प्रफुल्ल कुमार एवं एक एसपी और एडिशनल एसपी शामिल रहेंगे.

पुलिस के मुताबिक धानमंडी थाना क्षेत्र में टेलर कन्हैयालाल की दिनदहाड़े गला काटकर हत्या कर दी गई. वारदात को अंजाम देने के आरोप में रियाज मोहम्मद और गोस मोहम्मद को गिरफ्तार किया गया है. दोनों आरोपियों को राजसमंद जिले के भीमा इलाके से अरेस्ट किया गया है.

मृतक के परिजनों को सरकार ने 31 लाख रु. का मुआवजा का ऐलान किया है. साथ ही मृतक के परिवार के 2 सदस्यों को संविदा नौकरी देने की घोषणा भी की गई है. धानमंडी थाने के ASI भंवरलाल को सस्पेंड कर दिया गया है. ASI ने ही कन्हैयालाल का आरोपियों के साथ समझौता कराया था. 

घटना के बाद उदयपुर के धानमण्डी, घण्टाघर, हाथीपोल, अम्बामाता, सूरजपोल, भूपालपूरा और सविना पुलिस थाना क्षेत्रों में आगामी आदेश तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है. इन क्षेत्र में आमजन का आवागमन बंद रहेगा. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए नियुक्त अधिकारी, कार्मिक, आवश्यक सेवाओं में शामिल व्यक्ति, परीक्षाओं के परीक्षार्थी और परीक्षा आयोजन में नियुक्त स्टाफ के लिए कर्फ्यू के दौरान छूट रहेगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

बताया जा रहा है कि मृतक युवक के 8 साल के बेटे ने नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया में पोस्ट किया था. इससे गुस्साए आरोपियों ने उसके पिता की बेरहमी से हत्या कर दी. दिल दहला देने वाली इस वारदात से इलाके में सनसनी फैल गई है. हत्या को अंजाम देने वाले एक आरोपी का नाम रियाज मोहम्मद है. वह भीलवाड़ा के आसींद इलाके का रहने वाला है. दूसरे आरोपी का नाम गोस मोहम्मद है. वह उदयपुर के खांजीपीर इलाके का रहने वाला है.

आरोपियों को पकड़ने वाले पुलिसकर्मी गंजेद्र सिंह ने बताया कि दोनों आरोपी नाकेबंदी में पकड़े गए हैं. दोनों मोटरसाइकिल से भाग रहे थे. दोनों को लेकर पुलिस उदयपुर रवाना हो गई है. उनके पास से कोई हथियार नहीं मिला है.

करणी सेना ने जारी किया बयान

घटना के बाद राजपूत करणी सेना ने बयान जारी किया है. बयान में कहा गया है कि जरूरत पड़ने पर राजपूत करणी सेना सड़कों पर उतरकर कड़ा विरोध प्रदर्शन करेगी. करणनी सेना ने आगे कहा है कि इस तरह की घटना का सपोर्ट करने वाले भी दंड के भागीदार होंगे.

पकड़े गए आरोपियों का वीडियो

घटना की सूचना मिलने के बाद धानमंडी और घंटाघर थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई और घटना का जायजा लिया. पुलिस ने शव को एमबी हॉस्पिटल की मोर्चरी में रखवा दिया है. मृतक का नाम कन्हैयालाल है, बताया जा रहा है कि उसके आठ साल के बेटे ने मोबाइल से नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी थी. इसके बाद कुछ लोग नाराज हो गए और तीन आरोपियों ने युवक की धारदार हथियार से बेरहमी से हत्या कर दी. इस घटना के बाद हिंदू संगठन में आक्रोश है. इस मामले में आरोपियों ने वीडियो जारी कर हत्या की जिम्मेदारी भी ली है.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून हवासिंह घुमरिया ने लोगों से उदयपुर हत्याकांड के वीडियो को वायरल करने से बचने की अपील की है. उन्होंने कहा कि वीडियो वायरल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया गया है. अतिरिक्त महानिदेशक जंगा श्रीनिवास एवं दिनेश एमएन, डीआईजी आरपी गोयल और राजीव पचार की तैनाती की गई है. इसके अलावा 30 आरपीएस और 5 आरएसी की कंपनी उदयपुर में तैनात की गई हैं. पुलिस के मुताबिक दोनों आरोपियों के अलावा किसी और का नाम सामने आता है तो उसे भी अरेस्ट किया जाएगा.

कल संकल्प मार्च निकालेंगे कपिल मिश्रा

भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने उदयपुर में हुए हत्याकांड के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर में 29 जून की शाम 5 बजे श्रद्धांजलि सभा और आतंक के नाश संकल्प मार्च निकालने का ऐलान किया है.

राहुल गांधी ने की घटना की निंदा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वारदात की निंदा की है. उन्होंने कहा कि उदयपुर में हुई जघन्य हत्या से मैं बेहद स्तब्ध हूं. धर्म के नाम पर बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती. इस हैवानियत से आतंक फैलाने वालों को तुरंत सख्त सजा मिले. हम सभी को साथ मिलकर नफरत को हराना है. मेरी सभी से अपील है, कृपया शांति और भाईचारा बनाए रखें.

हादसा

भाजपा ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना

भाजपा नेता राज्यवर्धन सिंह राठौर ने ट्वीट कर कहा कि उदयपुर की इस नृशंस घटना की जिम्मेदार गहलोत सरकार है, क्योंकि इस सरकार ने करौली दंगे के मुख्य दंगाई को खुला छोड़ा. टोंक में मौलाना ने हिंदुओं की गर्दन उतारने की धमकी दी, कोई कार्रवाई नहीं हुई. यह हत्यारा भी वीडियो बनाकर नरसंहार की धमकी देता रहा, पर सरकार चुप्पी साधे रही. वहीं आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि 'ये दरिन्दे हैं, इनको फांसी दो. राजस्थान सरकार जागो.

मृतक कन्हैयालाल
मृतक कन्हैयालाल.

गजेंद्र सिंह शेखावत ने की निंदा

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट कर हत्यारों को सख्त सजा देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उदयपुर के एक सीधे-सादे नागरिक की बर्बरता से हत्या और आरोपियों द्वारा वीडियो बनाकर अपराध स्वीकारना बताता है कि तुष्टिकरण सीमाएं लांघ जाए तो वातावरण खूनी वैमनस्य का शिकार हो जाता है.

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ शिकायत को अनदेखा किया, जिसका वीभत्स परिणाम सामने है. यह वारदात सभ्य समाज को भयग्रस्त करने की साजिश का हिस्सा है. गहलोतजी सपाट बयानी कर पल्ला नहीं झाड़ सकते. उनकी जिम्मेदारी है कि प्रत्येक नागरिक को सुरक्षित महसूस कराना और उन कारणों पर रोक लगाना जिनसे इस तर्ज के अपराध और अपराधी पनप रहे हैं. अपनी एकांगी नीतियों की वजह से राज्य सरकार वैसे भी कटघरे में खड़ी है.


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मंगलवार, 28 जून 2022

यूपी के कई शहरों में आज दस्तक दे सकता है मानसून, गर्मी से मिलेगी राहत

मौसम विभाग के अनुसार इस समय मानसूनी बारिश का मौसम बन रहा है। बंगाल की खाड़ी से नम हवाओं के आने का सिलसिला तेज हो गया है।
सोमवार को लखनऊ में बादलों का डेरा रहा। बौछारों ने गर्मी से राहत दी। चार मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। मौसम विभाग के अनुसार इस समय मानसूनी बारिश का मौसम बन रहा है। बंगाल की खाड़ी से नम हवाओं के आने का सिलसिला तेज हो गया है। पिछले तीन दिनों में हवा की रफ्तार में चार किमी प्रति घंटा का इजाफा हुआ है।

सोमवार को हवा की रफ्तार 12.4 डिग्री सेल्सियस रही। हवा में नमी के कारण उमस भी बढ़ी है। रात के समय नमी 44 से बढ़कर 55 प्रतिशत और दिन में 80 प्रतिशत रही। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग प्रमुख डॉ. एसएन पांडेय के अनुसार बारिश से तापमान में नौ डिग्री तक की गिरावट हो सकती है। 

तापमान
अधिकतम तापमान 39
न्यूनतम तापमान 29.6

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अकील राणा के आवास पर आप पार्टी की एक मीटिंग हुई आयोजित

बीजेपी पर जमकर बरसे अक़ील राणा

अपने बच्चों की खुशहाली के लिए आप पार्टी ही विकल्प : अक़ील राणा 

मुज़फ्फरनगर। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अक़ील राणा के नेतृत्व में उनके आवास पर आम आदमी पार्टी की एक मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमे उनके समर्थकों व आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों ने सैकड़ो की तादाद में शिरकत की। 
मेरठ रोड आईटीआई के सामने वरिष्ठ आप नेता अक़ील राणा के आवास पर उनके नेतृत्व में एक मीटिंग का आयोजन किया गया। मीटिंग में अक़ील राणा ने बीजेपी सरकार पर दहाड़ते हुए कहा कि देश मे बीजेपी सरकार में युवा आंदोलन करने पर मजबूर है। किसान आत्महत्या कर रहे है। मजदूर व आमजन डीजल पेट्रोल, गैस, बिजली, खाने पीने की चीज़ों में बढ़ती महंगाई से त्रस्त है। 
नए-नए कानून बनाकर लोगो को परेशान किया जा रहा है।
ऐसी तानाशाह सरकार से मुकाबला यदि कोई पार्टी कर सकती है तो वह आम आदमी पार्टी ही है। 
आम आदमी पार्टी आम जन को सीधे राहत पहुंचाने का काम कर रही है। जो जनता के बुनियादी मुद्दे है, उन पर कार्य किये जा रहे। जहां एक तरफ सभी दल हिन्दू मुस्लिमो में अटके है, वही दूसरी ओर केजरीवाल के नेतृत्व में आप पार्टी सिर्फ विकास के मुद्दे पर कार्य कर रही हैं। यही वजह है कि दिल्ली के बाद अब पंजाब में भी कब्जा आप का हो गया है। ईमानदार सरकार चलाने में माहिर अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही हैं। अक़ील राणा ने लोगो से अपील करते हुए कहा कि अपने बच्चों की खुशहाली के लिए आम आदमी पार्टी को चुनना जरूरी हैं। 
मीटिंग की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष अरविंद बालियान ने की व संचालन जिला कोषाध्यक्ष वसी खैरी ने किया। 
मीटिंग में नगर अध्यक्ष सरदार जसकरन, माइनॉरिटी जिला महासचिव नईम सिद्दीकी, सोशल मीडिया जिला अध्यक्ष शाहनवाज़ सिद्दीकी, सुलेमान ठेकेदार, डॉ देवेंद्र मलिक, तसव्वुर, गुफरान, शहजाद ज़ैदी, नदीम खामपुर, जिला प्रवक्ता सतेंद्र मान, आलोक अधिवक्ता, वैभव त्यागी, आफताब, कुलदीप तोमर, महावीर, अजय चौधरी, वारिस राणा, अमीर अहमद, यामीन, सरताज, अनीस त्यागी, चौधरी शकील, शौकीन सैफी, रुस्तम राणा बीडीसी, सुएब राणा, फरदीन राणा, अमान राणा, अज़ान राणा, अजय भारद्वाज, शेखर जोशी, राजकुमार मौर्या आदि सैकड़ो लोग मौजूद रहे।

✍️- Farman Abbassi 

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गुवाहाटी में पहली बार होटल से बाहर आए एकनाथ शिंदे, कहा- हम शिवसेना में, जल्द मुंबई जाएंगे

बीजेपी संग इन शर्तों पर बन सकती है शिंदे गुट की सरकार

Posted by :- Vishnu Rawal

शिवसेना के बागी विधायक भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना सकते हैं. इसमें शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. वहीं शिंदे गुट के विधायकों में से 8 को कैबिनेट मंत्री और 5 को MoS का दर्ज मिल सकता है. वहीं 29 कैबिनेट मंत्री बीजेपी के होंगे.

शिंदे गुट के साथ मौजूदा सरकार के 8 मंत्री हैं. ऐसे में शिंदे गुट वही मंत्रालय चाहता है जो कि इन विधायकों के पास पहले से थे. क्योंकि पिछले एक महीने में लिये गए इनके फैसलों को उद्धव सरकार ने रोक दिया है. एकनाथ शिंदे चाहते हैं कि जो निर्दलीय विधायक बागी गुट के साथ आए हैं उनको बीजेपी अपने कोटे में से मंत्री बनाये. 

शिंदे कैंप से किनको मंत्री बनाया जा सकता है- 

एकनाथ शिंदे + दादा भुसे + गुलाबराव पाटिल + संदीपन भुमरे + उदय सामंत + शंभूराज देसाई + अब्दुल सत्तार + राजेंद्र पाटिल येद्रावकर + बच्चू कडू (प्रहार जनशक्ति)

नए नाम, जिनको मंत्री बनाया जा सकता है - दीपक केसरकर + प्रकाश आबिदकर + संजय रायमूलकर + संजय शिरसाठ

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महाराष्ट्र: इधर बगावत, उधर सरकार का नया फॉर्मूला... लेकिन राज्यपाल के पास जाएगा कौन?

स्टोरी हाइलाइट्स

  • महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की हलचल तेज
  • फ्लोर टेस्ट हुआ तो मामला कोर्ट भी जा सकता है
  • राज्य में बीजेपी-शिंदे गुट की सरकार बना सकती है

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा अपने हाई लेवल पर पहुंच गया है. एक ओर शिवसेना में बगावत बढ़ती जा रही है. एक के बाद एक उसके विधायक टूटते जा रहे हैं. तो अब दूसरी ओर सरकार बनाने का नया फॉर्मूला भी निकलकर सामने आ रहा है. 

सूत्रों का कहना है कि बीजेपी एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों को साथ लेकर सरकार बना सकती है. अंदरखाने ऐसी भी बातचीत चल रहीं हैं कि शिंदे और बीजेपी कैंप में सरकार बनाने की शर्तों पर विचार-विमर्श हो रहा है.

अगर बीजेपी और बागी विधायकों की मिलकर सरकार बनती है, तो इसमें एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. वहीं, शिंदे गुट के 8 विधायकों को कैबिनेट मंत्री और 5 को राज्य मंत्री बनाया जा सकता है. जबकि, बीजेपी के गुट से 29 मंत्री बन सकते हैं. इतना ही नहीं, एकनाथ शिंदे ये भी चाहते हैं कि जो निर्दलीय विधायक उनके साथ आए हैं, उन्हें बीजेपी अपने कोटे से मंत्री बनाए. 

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये सरकार बनेगी कैसी? नई सरकार बनने के लिए पुरानी सरकार का गिरना जरूरी है. लेकिन पुरानी सरकार तभी गिरेगी, जब फ्लोर टेस्ट होगा. अब यहां भी एक सवाल ये है कि फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल के पास कौन जाएगा?

कौन करेगा राज्यपाल से मांग?

- उद्धव गुटः इसकी उम्मीद बहुत कम है. शिवसेना नेताओं का कहना है कि वो फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं, लेकिन उद्धव गुट आगे से फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं करेगा. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिवसेना ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने की भी मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था और कहा था कि अगर फ्लोर टेस्ट में कोई संवैधानिक संकट नजर आता है तो आप अदालत आ सकते हैं. सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ भटनागर ने भी बताया कि अगर फ्लोर टेस्ट बुलाया जाता है तो निश्चित तौर पर ये मामला कोर्ट में जाएगा.

- शिंदे गुटः एकनाथ शिंदे और बागी विधायक राज्यपाल को एक चिट्ठी लिखें और महा विकास अघाड़ी सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की बात कहें. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि अभी तक शिंदे गुट ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. शिंदे गुट के 16 विधायकों पर अभी सदस्यता जाने का खतरा मंडरा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों को डिप्टी स्पीकर के अयोग्यता नोटिस पर जवाब देने से राहत दे दी है. इस पर 11 जुलाई को सुनवाई होगी. हालांकि, अगर शिंदे गुट किसी दूसरे पार्टी में विलय कर लेता है तो उसके विधायकों की सदस्यता जाने से बच सकती है.

- बीजेपीः जानकारी के मुताबिक, बीजेपी खुद सीधे तौर पर राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग नहीं करेगी. बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र की छोटी पार्टियां राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकतीं हैं. बीजेपी को फ्लोर टेस्ट के बाद महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरने का पूरा भरोसा है. बीजेपी ने अपने सभी विधायकों को मुंबई और उसके आसपास ही रहने को कहा है, ताकि फ्लोर टेस्ट की स्थिति में सारे विधायक पहुंच सकें.

फिर कैसे होगा फ्लोर टेस्ट?

अगर कोई भी आगे से फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं करता तो फिर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी स्वतः संज्ञान लेते हुए उद्धव सरकार को अपना बहुमत साबित करने को कह सकते हैं. 2016 में अरुणाचल प्रदेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर राज्यपाल को लगता है कि सरकार ने विश्वास खो दिया है, तो वो फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सिफारिश के बिना सदन भंग नहीं कर सकते.

उद्धव सरकार का जाना तय?

- महाराष्ट्र में अब 31 महीने पुरानी उद्धव सरकार का जाना लगभग तय माना जा रहा है. अब फ्लोर टेस्ट के समय भले ही शिंदे गुट के विधायक सदन में रहें या नहीं रहें. 

- शिंदे गुट ने 49 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. इनमें 40 विधायक शिवसेना के, दो प्रहार जनशक्ति पार्टी और 7 निर्दलीय हैं. 

- महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं. शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन से एक सीट खाली है. लिहाजा 287 सीटें हैं. सरकार बनाने और बचाने के लिए 144 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है. 

- फ्लोर टेस्ट में अगर शिंदे गुट के सभी 49 विधायक महाविकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ वोट देते हैं तो उससे उद्धव सरकार गिर जाएगी. 

- दूसरी एक बात ये भी है कि फ्लोर टेस्ट के समय अगर शिंदे गुट के विधायक गैर-मौजूद भी रहते हैं तो भी महाविकास अघाड़ी सरकार गिर जाएगी. उनकी गैर मौजूदगी से बहुमत का आंकड़ा कम हो जाएगा और इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. क्योंकि बीजेपी के पास अपने 106 विधायक हैं और 6 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी है.  

 

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मामूली विवाद में युवक ने ब्लेड से काट ली खुद की गर्दन, पानी की तरह खून बहता देख थमी लोगों की सांसें

अपनी ऊंगली मामूली सी भी कट जाए तो हम चीख पड़ते हैं। कटी ऊंगली मुंह में दबा लेते हैं। ऐसा आम तौर पर सभी के साथ होता है लेकिन क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि कोई शख्स अपने हाथों से अपनी गर्दन काट ले? कई बार हकीकत कल्पना से परे होती है और ऐसी ही एक हकीकत उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में सामने आई है जहां दो युवकों के बीच लड़ाई में एक युवक ने अपने ही हाथों से अपनी जान लेने की कोशिश की। दरअसल दो युवकों को बीच विवाद हुआ तो पहले युवक ने अपने हाथों में रखी ब्लेड अपने ही गर्दन में मार ली। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

पुलिस के मुताबिक ये घटना ललितपुर सदर कोतवाली के पटसेमरा गांव की है। पुलिस के मुताबिक पटसेमरा गांव के रहने वाले प्रदीप और राहुल के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया। इस बीच राहुल नाम के लड़के ने दो बार अपनी गर्दन पर ब्लेड मारकर खुदकुशी करने की कोशिश की। दो बार गर्दन पर ब्लेड लगने से वो खून से लतपथ हो गया और जमीन पर गिर पड़ा।

राहुल को आनन फानन में एंबुलेंस से जिला अस्पताल ले जाया गया। राहुल की गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। झांसी मेडिकल कॉलेज में युवक का इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक युवक की हालत फिलहाल स्थिर है।
 

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Sting: प्रयागराज अथॉरिटी में घर का नक्शा पास करने के लिए यूं होता है 'खेल'

पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के विरोध के दौरान प्रयागराज में हिंसा हुई थी, जिसके बाद मामले के मुख्य आरोपी जावेद पंप के घर अथॉरिटी का बुलडोजर चलाया गया. नक्शा पास न होने का दावा किया गया. इस बुलडोजर कार्रवाई के बाद अथॉरिटी पर कई तरह के सवाल भी उठे. इस बीच आजतक की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने प्रयागराज अथॉरिटी में नक्शा पास करने की प्रक्रिया का पता लगाने की कोशिश तो हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई. 

प्रयागराज में घर का नक्शान पास कराने के लिए आम लोग सरकारी दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सरकारी बाबुओं उन्हें टरकाते रहते हैं. संबंधित फाइल को मंजूरी देने के लिए वो कई बहाने बनाते हैं. एक कॉमन मैन को किन-किन चीजों से गुजरना पड़ता है, उसी को लेकर 'आजतक' की टीम ने स्टिंग ऑपरेशन किया. 

प्रयागराज विकास प्राधिकरण के ऑफिस की सातवीं मंजिल पर 22 जून को करीब 12.30 बजे 'आजतक' रिपोर्टर इंस्पेक्टर कुंवर आनंद से मिले. कुंवर आनंद प्राधिकरण में मकानों, दुकानों और व्यावसायिक बिल्डिंग का निरीक्षण करने का काम करते हैं. उनको बनाने से लेकर हर जिम्मेदारी इंस्पेक्टर कुंवर के कंधों पर ही है. कुंवर आनंद को रिपोर्टर ने फोन करके मिलने का वक्त मांगा. टीम जानना चाहती थी एक मकान बनाने के लिए किस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इंस्पेक्टर कुंवर आनंद 'आजतक' रिपोर्टर से 7वीं मंजिल की सीढ़ियों के पास अपने सुपरवाइजर वेद तिवारी के साथ मिले. रिपोर्टर ने उन्हें बताया कि प्रयागराज के खुल्दाबाद इलाके में एक मकान का निर्माण करना है. उसकी जानकारी चाहिए. 

रिपोर्टर- नमस्कार 

कुंवर- आपने फोन किया था ? 

रिपोर्टर- हां जी, खुल्दाबाद आप ही देखते हैं ? 

कुंवर- हां जी. 

रिपोर्टर- लकड़ी बाजार है, वहां मकान बना है. 

कुंवर- हां जी. 

रिपोर्टर-उसका प्रोसेस बता दीजिए... 

कुंवर – मकान बन चुका है आपका? 

रिपोर्टर- नहीं, बना हुआ है, तोड़ कर बनाना है. 

कुंवर- नक्शा पास करवाना पड़ेगा.. कितना बड़ा है?

रिपोर्टर- 150 गज. 

पहले तो इंस्पेक्टर कुंवर आनंद ने बोले कि वहां का नक्शा पास करवाना पड़ेगा. फिर बोले कि जैसा चाहे नक्शा पास हो जाएगा और बाकी जानकारी के लिए उनका सारा काम देखने वाले सुपरवाइजर वेद तिवारी से बात कर लें. 

कुंवर आनंद- जैसा चाहें नक्शा पास करवाना है नक्शा पास हो जाएगा... 

रिपोर्टर- बाकी? 

कुंवर आनंद - बाकी आप इनसे बात कर लीजिए... 

जिसके बाद वेद तिवारी ने 'आजतक' रिपोर्टर से मकान को लोकेशन समझ कर बताया कि सरकारी तौर पर काम करवाने में झंझट बहुत है. पैसे के साथ साथ वक्त भी बहुत लगता है.  

सुपरवाइजर- कहां पर है? 

रिपोर्टर- लड़की मंडी...सर 

सुपरवाइजर- सब्जी मंडी है या उसके बाद है, आगे से नुरुला रोड मिल जाता है? 

रिपोर्टर- कई तरफ से रास्ता मिल जाता है. 

सुपरवाइजर- फ्रंट पर तो नहीं है ? 

रिपोर्टर- नहीं... 

सुपरवाइजर- कोई शिकायत तो नहीं है? अगल-बगल आस-पड़ोस. मकान बनाना है, तो नक्शा आपको पास करवाना होगा और पहले फीस जमा करवानी होगी. सारे पेपर, स्वामित ले आइए, आरकिटेक्ट को बुलाए...और फीस जमा कर दीजिए. बहुत पैसा लगेगा...टाइम लगेगा... 

इस पूरी प्रक्रिया से बचने का भी इलाज उनके पास था. यानी प्राइवेट बिना किसी मंजूरी के और इसकी रिश्वत की रकम तभी बताएंगे जब मकान बनाना शुरू होगा. 

सुपरवाइजर- प्राइवेट और अगर आपको उसको बनाना है तो पहले आप इसको तोडिए..जब टूट जाएगा तब शुरू होगा... 

रिपोर्टर- क्या कुछ लगेगा? 

सुपरवाइजर- ये उसी समय तय हो जाएगा कि आप क्या बनाएंगे, आवास बनाएंगे या मार्केट बनाएंगे. 

रिपोर्टर-आवास बनाएंगे....मार्केट की तो जगह ही नहीं है.

सुपरवाइजर- नहीं-नहीं, पीछे मार्केट तो बना सकते हैं. 

रिपोर्टर- मार्केट की लायक जगह नहीं है.

सुपरवाइजर- वो भी बन जाएगा...आप पहले तोड़कर शुरुआत करिए... 

रिपोर्टर- फिर भी आप बताएं क्या लगेगा?  

सुपरवाइजर-जब बनाएंगे तभी उस समय बात करेंगे अभी से क्या बताएं...

रिपोर्टर- फिर भी क्या लगेगा? 

सुपरवाइजर-जब आप शुरू करेंगे मौके पर तब बताएंगे. देखिए आप बढ़िया तरीके से काम शुरू करिए. तब आइए यहां पर आइए तब करते हैं... 

रिपोर्टर- इंजीनियर साहब का नाम क्या है? 

सुपरवाइजर-कुंवर आनंद 

रिपोर्टर- और आप?  

सुपरवाइजर- हम उनके सुपरवाइजर हैं. 

रिपोर्टर- आपका नाम क्या है?

सुपरवाइजर- वेद तिवारी 

रिपोर्टर- वेद तिवारी 

सुपरवाइजर- हां हां आ जाइए  

रिपोर्टर- नंबर दे दीजिए  

सुपरवाइजर- उनसे ले लीजिए, आप उन्हीं से बात कर लीजिएगा...जब उनसे बात हो जाएगी वो हमको मैसेज कर देगें. 

इसी सिलसिले में रिपोर्टर से वेद तिवारी सुपरवाइजर की अगली मुलाकात अगले दिन दोपहर प्रयागराज प्राधिकरण के दफ्तर के बाहर हुई. रिपोर्टर का मकसद वेद तिवारी सुपरवाइजर से बिना नक्शे के मकान बनाने की रिश्वत का दाम पूछना था. 

लोकेशन-प्रयागराज विकास प्राधिकरण ,वेद तिवारी, सुपरवाइजर, पीडीए 

रिपोर्टर- हमें थोड़ा सा बजट एक बार पता चल जाता कि आप क्या लेंगे. क्योंकि बिना नक्शे का मकान बनेगा. वो तो बात आनन्द जी से भी हो गई थी रात...रात...बिना नक्शे के बनेगा तो कितना पैसा लग जाएगा...पैसा बता दीजिए आप.. 

सुपरवाइजर- आप काहे इतना परेशान हैं... 

रिपोर्टर- बजट का दिक्कत आ रहा है. 150 गज का है. वो जो मंदिर नहीं देखा आपने... 

सुपरवाइजर- कितने बाई कितने का है? 

सुपरवाइजर-इसका (मकान) का फेस किधर है. दक्षिण, उत्तर,पूर्व, पश्चिम... 

रिपोर्टर- जैसे हम सीधे खड़े हैं. 

सुपरवाइजर- पूर्व सामने रोड कितनी है ? 

रिपोर्टर- होगी 15-20  फीट 

सुपरवाइजर- 20 फीट पर तो नक्शा ही नहीं पास होगा.. 

सुपरवाइजर- 150 सौ गज में लंबाई कितनी है और चौड़ाई कितनी है ? 

रिपोर्टर- 20 बाई 70 कल तो आप मिले थे न कुंवर आनंद से  फिर क्या बात हुई ? 

रिपोर्टर- फोन नंबर लिया उनसे वो कह रहे कि बात आपसे करें... 
 
सुपरवाइजर- देखिए आपका निर्माण शुरू नहीं हुआ है..अभी से ये सब बात सीक्रेट होती है इन बातों का ज्यादा प्रचार-प्रसार कि जरूरत नहीं है. आपकी हम मदद करेगें. आपका निर्माण विद आउट नक्शा करवाएंगे. तो आप काम करते जाइए कोई दिक्कत नहीं होगी. 

रिपोर्टर- दाम क्या लगेगा? थोड़ा सा पता चल जाए तो आईडिया लग जाएगा.  

सुपरवाइजर- 20 बाई 70 का निर्माण होगा क्या बनायेगें आवास? 

रिपोर्टर- हां. 

सुपरवाइजर-रहने का?

रिपोर्टर- हां. 

सुपरवाइजर- टोटल आप रहने का बनाएंगे व्यापार का नहीं?  

रिपोर्टर- हां. 

सुपरवाइजर- (कागज पर लिखते हुए 70 हजार) पर फ्लोर 

रिपोर्टर- पर फ्लोर 70 हजार ..? 70 हज़ार रुपये ज्यादा नहीं है महाराज... 

सुपरवाइजर-  नहीं.  

रिपोर्टर- है? 

सुपरवाइजर-नहीं 

सुपरवाइजर-पर फ्लोर 

रिपोर्टर- पर फ्लोर 70 हजार में हो जाएगा न? 

सुपरवाइजर- हां हां...  

रिपोर्टर- तो मानकर चलिए एक लाख चालीस हजार के करीब  

सुपरवाइजर- दो मंजिल बनायेंगे न?

रिपोर्टर- हां एक लाख चालीस हज़ार हो जाएगा न?

सुपरवाइजर- हां.  

बिना नक्शे के मकान को बनाने की एक मंजिल की कीमत 70,000 रुपये थी. लेकिन इतना ही नहीं ..अगर बिना नक्शे की मकान बनने की कोई शिकायत आती है तो उसको कैसे वेद तिवारी सुपरवाइजर संभालेंगे ज़रा सुनिए...  

रिपोर्टर- फिर कोई शिकायत वगैरह सब आप संभाल लेगें न?

सुपरवाइजर-पहले मेरी बात सुने...जब कोई शिकवा, शिकायत होगी. आपको लेटर दिखाएंगे. पक्की बात होगी. वो कोई फॉर्मेलिटी नहीं है. आपके दस रुपये लिए रहेगें. आपका नमक खाएं रहेंगे तो वो आपको दिखाकर जो भी बन सकेगा. आपकी पूरी मदद करेगें. जरूरत पड़ेगी तो नोटिस का हल दिखाने के लिए किया जाएगा. उसका हल निकाल लिया जाएगा. आपको हैरान होने कोई आवश्यकता नहीं है.  

रिपोर्टर-सब इसी में हो जायेगा न? 

सुपरवाइजर- यानी इस 70 हजार के हर फ्लोर के रिश्वत के पैकेज में बिना नक्शे के मकान बनाने से लेकर उसकी शिकायत तक का निवारण का इंतजाम है. अब आप सुनिए पैसा एक मुश्त नहीं जाएगा.. जैसे जैसे मकान बनेगा वैसे-वैसे पैसा जायेगा. मकान आपको युद्ध स्तर करना होगा. जितना जल्दी आप काम करेंगे उतना जल्दी आप हेडेक कम होगा. 

रिपोर्टर- पैसा एक बारी में ही जाएगा न? 

सुपरवाइजर- पहला अमाउंट आयेगा, जब लेंटर लेवल पर आ जाएंगे. दूसरी एक छत पड़ जाएगी. कल से बात हो रही है. पता लग गया है कि आप अच्छे लोग हो आप सकून से काम करिए और आपके हिसाब से है, नहीं तो (उंगली दिखाते हुए) पर फ्लोर होता. 

रिपोर्टर- अच्छा एक लाख रुपये पर फ्लोर होता? 

सुपरवाइजर- आपके हिसाब से किया है? 

रिपोर्टर- ठीक है. 

सुपरवाइजर- ये बातें फोन पर नहीं की जाती... 

रिपोर्टर- इंस्पेक्टर तो वो ही है न? 

सुपरवाइजर- कुंवर आनंद  

केस-2 

`आजतक` की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने अब दूसरे शख्स राकेश शर्मा से बात की. राकेश शर्मा कटरा इलाका देखते हैं. राकेश से रिपोर्टर की मुलाकात प्रयागराज विकास प्राधिकरण की इमारत के बाहर हुई. `आजतक` रिपोर्टर राकेश शर्मा जी को बताया कि कटरा में एक मकान बनाना है. राकेश शर्मा ने सबसे पहले मकान की परिधि और लोकेशन समझा.  

रिपोर्टर- आप यहां पर क्या है?

राकेश शर्मा- सुपरवाइजर 

राकेश शर्मा-कितने बाई कितने का है? 

रिपोर्टर-150 गज का है.  

राकेश शर्मा- रोड पर है?  

रिपोर्टर- रोड पर नहीं है अंदर की तरह है. शर्मा जी से मकान बनाने का सेवा शुल्क यानी रिश्वत पूछी..तो उन्होंने लम-सम हर एक मंजिल के चालिस हज़ार रुपये बता दिए. 

रिपोर्टर-आपका नाम क्या है?  

राकेश शर्मा- राकेश शर्मा  

रिपोर्टर- तो हो जाएगा न पंडित जी? आप सेवा बताएं 

राकेश शर्मा- सेवा, क्योंकि आज जेई साहब नहीं है, तो थोड़ा उनसे पूछ लिया जाए. थोड़ा मैं उनसे भी राय लेकर तब मैं आपसे बात करूंगा. 

रिपोर्टर-फिर भी एक लम-सम बता देते...  

राकेश शर्मा- आपकी लिमिट में रहेगा... लिमिट में रहेगा ..लिमिट के ऊपर नहीं जाएगा...लगभग 40 तक मान लीजिए... 

रिपोर्टर- बना लेंगे ना दो मंजिल आराम से 

राकेश शर्मा-न ... न ..न... 

रिपोर्टर-सिंगल 

राकेश शर्मा-हां  

रिपोर्टर- दो मंजिला? 

राकेश शर्मा- तो बस दुगना कर लीजिए. 

रिपोर्टर- तो 80 (हज़ार) बहुत ज्यादा है? 

(राकेश ने साफ कर दिया कि पैसा सब अफसरों में बंटता है. जिससे कोई आगे मकान को कोई दिक्कत न हो. चोरी भी ईमानदारी से हो.)

राकेश शर्मा- जो हम ये बात कर रहे हैं. जोनल और अफसर को भी देना पड़ता है. जिससे कोई दिक्कत आए तो बराबर कर सके. किसी को देखिए अंधेरे में रख कर काम नहीं किया जाता. 

रिपोर्टर- बात साफ होनी चाहिए. 

राकेश शर्मा- चोरी में भी ईमानदारी हो.  80 हज़ार रुपये के रिश्वत के पैकेज में किसी भी तरह की मकान की शिकायत आएगी तो उसका भी इंतजाम है. 

राकेश शर्मा- complaint अगर कोई आएगा तो हम आपको बताकर तभी कोई कार्यवाही करेंगे, कि आपकी शिकायत आ गई है. कार्यवाही मैं करने चल रहा हूं. 

रिपोर्टर- तो फिर आप उसको कैसे निपटाएंगे? 

राकेश शर्मा- निपटेगा सब. 

रिपोर्टर-निपट जाएगा सब? 

राकेश शर्मा-निपटेगा कैसे नहीं ...कौन सा ऐसा काम है जो नहीं होगा... दिक्कत वहीं होती है. जहां शिकायतकर्ता ज्यादा फोकस करता है. न तो आप हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहे है न ही हमारी आपकी कोई दुश्मनी है..मदद आपकी होगी जहां कहेगें. 

रिपोर्टर-नक्शा नहीं है. बड़ा डर लगने लगा है. 

केस-3

अब आईए आपको गोसनगर इलाके में लेकर चलते हैं. जहां परवीन फातीमा यानी जावेद मोहम्मद की पत्नी का मकान गिराया गया है. वहां इलाके के लोग दबी जुबान में ये कैसे बता रहे है कि इलाके में पीडीए किस तरह से गैरकानूनी मकान पैसा लेकर बनवाता है.    

निवासी- आप ये मान लीजिए सर अगर आपने 100 गज का नक्शा पास करवाया है और जब कभी पीछे 100 गज बनवाने लगे तो यहा पर एडीए(पीडीए) के कर्मचारी यहां पर आते हैं, दो हजार, तीन हज़ार,चार हजार लेकर चले जाते हैं. आए दिन यहां मकान बनते हैं. बाकायदा पैसा सेट है. एडीए(पीडीए) कर्मचारी आते है पैसा लेकर चले जाते हैं.  

इतना ही नहीं पीडीए ने जहां जावेद मोहम्मद का घर जमीदोज किया था. उसी इलाके में चंद कदमों की दूरी एक प्लूटींग फैक्ट्री चल रही है.

 

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गैस पाइपलाइन में धमाका, हवा से उड़कर गिरा युवक

भोपा रोड पर राम स्वीट्स के निकट बिछाई जा रही गैस पाइपलाइन के मुख्य पाइप में मशीन से प्रेशर चेक करते समय इतनी प्रेशर से हवा निकली कि एक व्यक्ति हवा में उड़कर लगभग 15 फुट दूर जा गिरा। इस दौरान एक बाइक से टकरा गया लहूलुहान अवस्था में नई मंडी पुलिस ने उसे जिला चिकित्सालय में पहुंचाया जहां वह कोमा में है। पुलिस ने प्रेशर मशीन को कब्जे में ले लिया है।

नई मंडी के प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि हादसा करीब 11:45 बजे हुआ। एक व्यक्ति बुरी तरह जख्मी हुआ है जिसे अस्पताल भेज दिया गया है। उधर सड़क पर बिखरा हुआ खून इस गंभीर हादसे की गवाही दे रहा है। काफी संख्या में लोगों की भीड़ भी जमा हो गई। इस समय नईमंडी इलाके में पिछले काफी समय से पीएनजी की पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा। रात में इसी का प्रेशर चेक करने के लिए मशीन लगाई गई थी।

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सरकार, शिंदे और सुप्रीम कोर्ट के बीच महाराष्ट्र की सियासी बिसात, आखिरी बाजी आएगी किसके हाथ?

सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना के बागी विधायकों की अयोग्यता नोटिस को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल की इस नोटिस पर फिलहाल 11 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है. साथ ही उसने महाराष्ट्र में यथास्थिति बनाए रखने की बात कही थी.

सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव और केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है. इस फैसले से शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है. उसे उद्धव ठाकरे को घेरने के लिए दो हफ्ते का वक्त मिल गया है.

वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आगे की रणनीति को लेकर उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के घर पर बैठकें हुईं. वहीं शिवसेना के पास विधायकों का पर्याप्त संख्या बल न होने की स्थिति में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवसेना गुट, बीजेपी या राज्यपाल खुद ही फ्लोर टेस्ट के लिए कह सकते हैं.

दो बार इस्तीफा देना चाहते थे उद्धव, लेकिन पवार ने रोका

सीएम उद्धव ठाकरे दो बार इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन शरद पवार ने उन्हें रोक लिया. बताया जा रहा है हाल ही में जब उद्धव ने सोशल मीडिया पर आकर संबोधन दिया वो उसी समय इस्तीफा देना चाहते थे.

वहीं शिंदे गुट के विधायक दीपक केसरकर ने कहा कि हम शिवसेना और बीजेपी की सरकार चाहते हैं. प्रदेश में बेहतर सरकार बनेगी तो बेहतर काम होगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार अल्पमत में है. उद्धव ठाकरे सरकार को हार मान लेनी चाहिए और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

बीजेपी ने सभी MLA को मुंबई में रहने को कहा

देवेंद्र फडणवीस के घर पर हुई बैठक के बाद बीजेपी के सभी विधायकों को मुंबई और आसपास के इलाके में रहने के लिए कह दिया गया है ताकि फ्लोर टेस्ट की स्थिति बनने पर वे सभी मौजूद रहें. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर सीधे राज्यपाल से संपर्क नहीं करेगी. बीजेपी को भरोसा है कि फ्लोर टेस्ट के बाद मौजूदा एमवीए सरकार गिर जाएगी. सूत्रों का कहना है कि बीजेपी एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ गठबंधन में सरकार बनाएगी.

वहीं कोर कमेटी की बैठक में नेताओं से कहा गया है कि वे कार्यकर्ताओं को तैयार रखें, जब भी शिवसेना के बागी विधायक मुंबई लौटेंगे, बीजेपी के कार्यकर्ता एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करेंगे. वहीं बीजेपी के सुधीर मुंगतीवार का कहना है कि वे एकनाथ शिंदे समूह को असली शिवसेना समूह मानते हैं. अगर वह प्रस्ताव लेकर आते हैं तो हम विचार करेंगे.

बागी MLA को अब 12 जुलाई तक देना है जवाब

महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने शिंदे गुट के सभी विधायकों को जारी किए गए अयोग्य ठहराने वाले नोटिस पर अब जवाब देने का समय बढ़ा दिया है. उन्होंने सभी विधायकों को 12 जुलाई की शाम साढ़े पांच बजे तक जवाब देने के लिए कहा है.

पहले उन्होंने 27 जून की शाम साढ़े पांच बजे तक जवाब मांगा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डिप्टी स्पीकर की नोटिस पर 11 जुलाई तक रोक के बाद उन्होंने यह समय सीमा बढ़ा दी है.

11 जुलाई के बाद शुरू होगी अयोग्यता की प्रक्रिया: राउत

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि हमारे लिए सुप्रीम कोर्ट भगवान है, लेकिन महाराष्ट्र में जनता की भावनाएं अलग हैं. 11 जुलाई के बाद बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया शुरू होगी. 

वहीं अपने 'ज़िंदा लाश' वाले बयान राउत ने सफाई दी कि जो लोग 40-40 साल तक पार्टी में रहते हैं और फिर भाग जाते हैं, उनका जमीर मर गया है, तो उसके बाद क्या बचता है? जिंदा लाश. यह राममनोहर लोहिया साहब के शब्द हैं. मैंने किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का काम नहीं किया, मैंने सत्य कहा है. 

विधायकों को सिक्योरिटी मुहैया कराए सरकार: SC

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखे और शिंदे गुट के सभी विधायकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए. उनकी संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे. सरकार सभी विधायकों और उनके परिवार को तुरंत उचित सुरक्षा मुहैया कराए.

39 विधायक हमारे साथ, शिंदे कैंप का SC में दावा

सुप्रीम कोर्ट में शिंदे कैंप ने दावा किया कि उनके साथ 39 विधायक हैं. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार अल्पमत में है. बागी गुट ने यह कहा कि डिप्टी स्पीकर की छवि जब संदेह के घेरे में है तो फिर वह अयोग्य ठहराने का प्रस्ताव कैसे ला सकते हैं. ज

शिंदे गुट ने कहा कि पहले उन याचिकाओं पर सुनवाई होनी चाहिए जिनमें डिप्टी स्पीकर को हटाने की मांग की गई है. बागी विधायकों ने कहा कि डिप्टी स्पीकर सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

शिंदे गुट के लोग बागी नहीं भगोड़े हैं: आदित्य 

आदित्य ठाकरे ने गुवाहाटी में बैठे बागी विधायकों पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि वे सामने आएं और आंख में आंख डालकर हमसे बात करें. यह राजनीति नहीं, सर्कस बन गया है. यह बागी नहीं भगोड़े हैं. जो भागकर जाते हैं, वे कभी जीतते नहीं हैं. वहीं उन्होंने कहा कि कुछ विधायक हमारे साथ हैं. जो वापस आना चाहते हैं, उनका स्वागत है.

शिंदे गुट हमारे MLA को मारने की कोशिश कर रहा: नाना पटोले    

मातोश्री में उद्धव ठाकरे के साथ कांग्रेस और एनसीपी नेताओं की बैठक के बाद नाना पटोले ने कहा कि उद्धव सरकार 5 साल तक चलेगी. उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे अपने साथ विधायकों का जो संख्या बल होने का दावा कर रहे हैं, वह सही नहीं है. सही संख्या बल हमारे पास है.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वे (शिंदे गुट) हमारे विधायकों को इंजेक्शन लगाने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें मारने की कोशिश कर रहे हैं. हम इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे.

उद्धव के साथ बैठक में कांग्रेस नेता अशोह चव्हाण, नाना पटोले, बालासाहेब थोराट, शिवसेना नेता सुभाष देसाई और अरविंद सावंत मातोश्री, एनसीपी नेता जयंत पाटील और दिलीप वाल्से भी मौजूद थे.

महाराष्ट्र में हम शिवसेना-बीजेपी की सरकार चाहते हैं: केसरकर    

शिंदे गुट के विधायक दीपक केसरकर ने कहा कि हम शिवसेना और बीजेपी की सरकार चाहते हैं. प्रदेश में बेहतर सरकार बनेगी तो बेहतर काम होगा.उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार अल्पमत में है. उद्धव ठाकरे सरकार को हार मान लेनी चाहिए और इन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

मैं आखिरी सांस तक शिवसेना के साथ: राहुल पाटील

शिवसेना विधायक राहुल पाटील ने शिंदे गुट में शामिल होने के लिए चोरी-छुपे सूरत रवाना होने की खबरों का खंडन किया है. उन्होंने कहा कि वे अपना नियमित काम करने गए थे. वह अभी भी मंत्रलय में हैं.

उन्होंने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में कुछ लोग उनके बारे में अफवाह फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मैं कहीं नहीं जा रहा हूं. मैं आखिरी सांस तक शिवसेना का साथ नहीं छोडूंगा.

भूमि घोटाला मामले में संजय राउत को ED का समन

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिवसेना सांसद संजय राउत को समन भेजकर 28 जून को पूछताछ के लिए बुलाया है. लेकिन सूचना के मुताबिक वह ईडी के सामने पेश नहीं होंगे. उनकी मंगलवार को अलीबाग में रैली है, ऐसे में वह रैली का हवाला देकर गैर मौजूद रह सकते हैं.

राउत को ED ने ये समन प्रवीण राउत और पात्रा चॉल भूमि घोटाले से जुड़े मामले में भेजा है. ईडी के समन के बाद संजय राउत ने ट्वीट कर कहा था कि मैं अब समझ गया हूं कि ईडी ने मुझे समन भेजा है. हम सब बाला साहेब के शिवसैनिक बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. यह साजिश चल रही है. 

अब 5 जुलाई तक गुवाहाटी के होटल में ठहरेंगे विधायक

सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद शिंदे गुट के विधायकों ने गुवाहाटी के लग्जरी होटल में कुछ और दिन रुकने का मन बना लिया है. वे अब 5 जुलाई तक वहां ठहरेंगे. पहले 30 जून तक उनका रुकने का प्लान था. एकनाथ शिंदे 22 जून से गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं. इस दौरान उन्होंने दो बार होटल में ठहरने की तारीख बढ़ाई.


 

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सोमवार, 27 जून 2022

चीन के BRI प्रोजेक्ट के खिलाफ अमेरिका लाया 600 बिलियन डॉलर का प्लान, भारत को क्या होगा फायदा?

स्टोरी हाइलाइट्स

  • बाइडेन ने 600 अरब डॉलर की परियोजना का ऐलान किया
  • गरीब देशों में विकास के लिए किया जाएगा निवेश

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को G-7 की बैठक में 600 अरब डॉलर की परियोजना की घोषणा की. माना जा रहा है कि जी-7 में बाइडेन का ये ऐलान चीन की बेल्ट एंड रोड पहल को टक्कर देने के लिए है. गरीब देशों में वैश्विक इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्यक्रमों के लिए 600 अरब डॉलर का ये फंड जुटाया जाएगा. आइये जानते हैं, कि ये प्रोजेक्ट कैसे चीन के बेल्ट एंड रोड पहल को टक्कर देगा?

जी-7 में क्या हुआ?
 
जर्मनी के श्लॉस एल्मौ में आयोजित G7 समिट के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने "वैश्विक बुनियादी ढांचे और निवेश के लिए साझेदारी" का नाम बदलकर फिर से शुरू किया. बाइडेन ने कहा, अमेरिका नुदान, संघीय निधि और निजी निवेश से 200 बिलियन डॉलर जुटाएगा, इससे निम्न और मध्यम आय वाले देशों में जलवायु परिवर्तन से निपटने, वैश्विक स्वास्थ्य और डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार करने में लगाया जाएगा. 

बाइडेन ने कहा, मैं साफ कर दूं कि यह सहायता या दान नहीं है. यह एक निवेश है जो सभी के लिए रिटर्न देगा. इससे लोकतांत्रिक देशों के साथ साझेदारी का लाभ भी होगा. बाइडेन ने कहा, डेवलपमेंट बैंकों, वित्त संस्थानों, वेल्थ फंड और अन्य जगहों से भी अरबों डॉलर की अतिरिक्त मदद मिल सकती है. 

यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने बताया कि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव योजना के स्थायी विकल्प बनाने के लिए यूरोप 300 बिलियन यूरो जुटाएगा. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव योजना लॉन्च की थी. 

इसके अलावा इटली, कनाडा और जापान के नेताओं ने भी अपनी योजनाओं के बारे में बताया, जिनमें से कुछ की घोषणा पहले ही अलग से की जा चुकी है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन मौजूद नहीं थे, हालांकि, उनके देश के प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया. 

चीन की योजना का सदस्य देशों को नहीं मिला लाभ

चीन ने अपनी निवेश योजना के जरिए एशिया से यूरोप तक प्राचीन सिल्क रोड ट्रेड रूट का आधुनिक संस्करण बनाने के उद्देश्य से 100 से अधिक देशों में विकास के उद्देश्य से निवेश किया है. व्हाइट हाउस के मुताबिक, चीन की इस योजना का बहुत कम ठोस लाभ विकासशील देशों को मिल पाया है. 

बाइडेन ने कई प्रमुख परियोजनाओं की भी जानकारी दी. इसमें वाणिज्य विभाग, यूएस एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक, यूएस फर्म अफ्रीका ग्लोबल शेफर और यूएस प्रोजेक्ट डेवलपर सन अफ्रीका के समर्थन से अंगोला में 2 बिलियन डॉलर की सौर विकास परियोजना शामिल है. 

चीन को कैसे टक्कर देगा G-7?

अमेरिका के मुताबिक, ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान के तहत 2027 तक 600 अरब डॉलर जुटाने का प्रस्ताव रखा गया है. अमेरिका के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट में जो देश शामिल होंगे, वे खुद कंपनियों से डील कर सकेंगे. वहीं, चीन पर आरोप लगता रहा है कि वह बीआरई प्रोजेक्ट में शामिल देशों की राजनीति और उसकी वित्तीय व्यवस्था को नियंत्रण में करता है. ऐसे में चीन की साजिश से बचने के लिए देशों के पास अब नया विकल्प होगा. 
 
ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर पार्टनरशिप की चर्चा पिछले साल G-7 की बैठक में हुई थी. इस प्रोजेक्ट के जरिए उन देशों में बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सड़क और बंदरगाहों का विकास करना है, जो चीन पर निर्भर रहते हैं. उधर, चीन ने बीआरई प्रोजेक्ट के जरिए तमाम देशों के कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसा कर रखा है. 

भारत को इससे क्या लाभ होगा? 

G-7 दुनिया की 7 सबसे बड़ी विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है. इसमें अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन शामिल हैं. भारत इसका सदस्य देश नहीं है. हालांकि, जी-7 में भारत को लगातार आमंत्रित किया गया है. माना जा रहा है कि G-7 देशों को यह आभास है कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत का साथ जरूरी है. G-7 की नई परियोजना का लाभ भारत को भी मिलने की उम्मीद है. दरअसल, चीन भारत के पड़ोसी देशों को कर्ज के जाल में फंसा रखा है. श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान इसके प्रमुख उदाहरण हैं. चीन कर्ज के बहाने इन देशों के राजनीतिक और वित्तीय व्यवस्था को नियंत्रित करता है. 


 

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मायावती का फॉर्मूला हिट, आजमगढ़ में हार कर भी कैसे जीत गई बसपा? अखिलेश की राह कठिन

स्टोरी हाइलाइट्स

  • आजमगढ़ में बसपा का वोट बढ़ा तो सपा का घटा
  • आजमगढ़ में बसपा का दलित-मुस्लिम दांव रहा सफल
  • 2024 चुनाव के लिए बसपा को सियासी संजीवनी

उत्तर प्रदेश के लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी के आगे न आजम खान का गढ़ रामपुर बचा और न ही आजमगढ़ में सपा अपना वर्चस्व बचा पाई. दोनों ही लोकसभा सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही. रामपुर में घनश्याम सिंह लोधी और आजमगढ़ में दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने जीत दर्ज की है. वहीं, आजमगढ़ में बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली भले ही तीसरे नंबर पर रहे, लेकिन बसपा प्रमुख मायावती का दलित-मुस्लिम फॉर्मूला यहां कारगर दिखाई दिया. मायावती ने इस सियासी प्रयोग को लेकर आगे भी चलने के संकेत दे दिए हैं, जो सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए भविष्य की राहें कठिन कर सकता है? 

रामपुर लोकसभा सीट पर मायावती ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था जबकि आजमगढ़ सीट पर बसपा ने गुड्डू जमाली को कैंडिडेट बनाया था. आजमगढ़ में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को 3,12,768 वोट मिले हैं. सपा के धर्मेंद्र यादव को 3,04,089 मिले तो बसपा के गुड्डू जमाली को 2,66,210 मत प्राप्त हुए. बीजेपी 8679 वोट से जीत दर्ज करने में जरूर कामयाब रही, लेकिन आजमगढ़ की हार ने सपा को टेंशन में डाल दिया है तो बसपा अपने पुराने जनाधार को वापस पाने से खुश है.

आजमगढ़ लोकसभा की सभी विधानसभा सीटों पर है सपा

आजमगढ़ जिले में तो दस विधानसभा सीटें आती हैं, लेकिन लोकसभा क्षेत्र में 5 सीटें आती हैं. गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ सदर और मेहनगर विधानसभा इस लोकसभा क्षेत्र में आती हैं. इन सभी सीटों पर सपा के विधायक हैं. 2022 चुनाव में इन पांचों सीटों पर सपा को 4.35 लाख तो भाजपा को 3.30 लाख और बसपा को 2.24 लाख मत मिले थे. विधानसभा चुनाव में मुसलमानों का एकतरफा वोट सपा को गया था जबकि बसपा को वोट नहीं मिल सका था.

सपा का वोट घटा, बसपा का बढ़ा

बसपा की आजमगढ़ में वापसी का एक ही मंत्र बचा था, जो दलित दलित-मुस्लिम समीकरण का था. मायावती ने उपचुनाव में गुड्डू जमाली को उतारकर दलित-मुस्लिम फॉर्मूले को आजमाया तो सफल साबित हुआ. बसपा का वोट 2.24 लाख से बढ़कर 2.66 लाख पहुंच गया जबकि सपा का वोट 4.35 लाख से घटकर 3.04 लाख पर आ गया. इस तरह से 1.31 लाख वोट घट गए.

मुस्लिम बहुल सीटों पर बसपा ने दिखाया दम 

उपचुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट के तहत आने वाली मेहनगर, सदर और संगड़ी विधानसभा क्षेत्रों बीजेपी आगे रही तो मुबारकपुर में बसपा और गोपालपुर में सपा आगे रही. गोपालपुर में सपा को बसपा से सिर्फ 1200 वोट ज्यादा मिले हैं. यह दोनों ही सीटें मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं. ऐसे में एक अनुमान के मुताबिक आजमगढ़ संसदीस सीट पर मुस्लिम का करीब 55 फीसदी वोट बसपा को गए हैं तो 42 फीसदी वोट सपा को मिले हैं. ये हाल तक है जब सपा ने मुस्लिम नेताओं की पूरी फौज यहां उतार दी थी. आजम खान से लेकर अबु आजमी तक जैसे बड़े मुस्लिम चेहरों ने प्रचार किया था. बावजूद इसके सपा जीत नहीं सकी. यही वजह है कि सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ने अपनी हार के लिए मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हम अल्पसंख्यकों को समझा नहीं पाए.

दिलचस्प बात यह है कि सपा उपचुनाव के दौरान बसपा को रेस से बाहर बता रही थी और बसपा को बीजेपी की बी-टीम कहती रही. इसके बावजूद मुस्लिमों को वोट सपा से ज्यादा बसपा के उम्मीदवार के पक्ष में पड़े तो दलित वोट भी मजबूती से जुड़ा रहा. उपचुनाव नतीजे के आंकड़े भी बता रहे हैं कि बसपा का वोट विधानसभा चुनाव की तुलना में बढ़ा है तो 2014 के लोकसभा चुनाव में मिले वोट के बराबर है. 2014 में गुड्डू जमाली को 27 फीसदी वोट मिले थे जबकि 2022 उपचुनाव में बसपा को 29.27 फीसदी वोट मिले हैं. 

मायावती का पूरा फोकस मुस्लिमों पर रहा

बसपा भले ही विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से पस्त हो गई हो पर लोकसभा चुनाव में उसका वोट प्रतिशत अभी कम नहीं हुआ है. उपचुनाव में मायावती ने आजमगढ़ में जाकर रैली नहीं की पर वह बार-बार सोशल मीडिया के जरिए अपील करती रहीं. वह खास तौर पर मुस्लिमों को यह समझाने की कोशिश करती रहीं कि यदि मुस्लिम और दलित वोटर एक हो जाएं तो बीजेपी को हराया जा सकता है. विधानसभा चुनाव में मिली हार बाद से ही मायावती लगातार दलित-मुस्लिम पर फोकस कर रही हैं. आजमगढ़ उपचुनाव में मुस्लिम  वोटर सपा और बसपा के बीच बंट गए. 

2019 में लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा मिलकर लड़ी थी. आजमगढ़ में सपा मुखिया अखिलेश यादव स्वयं 6 लाख 21 हजार 578 पाकर जीते थे. माना जाता है कि इसमें यादव, मुस्लिम और दलित वोटों की हिस्सेदारी रही थी. उपचुनाव में सपा और बसपा अलग-अलग लड़ी. मायावती का मुस्लिम कार्ड सफल रहा. बसपा को 266210 वोट मिले और सपा के धर्मेंद्र यादव को 304089 वोट मिले. इस तरह दोनों वोटों को मिला दिया जाए तो 570299 होता है, जो अखिलेश को वर्ष 2019 में मिले कुल वोट से 51279 कम है.

नतीजों पर क्या बोलीं मायावती?

उपचुनाव में आजमगढ़ सीट पर सपा को मुस्लिम का एकतरफा वोट न मिलने से खेल बिगड़ा. अगर ऐसा न होता तो सपा आसानी से यह सीट जीत सकती थी. वहीं, मुस्लिम वोट अगर एकमुश्त गुड्डू जमाली को मिल जाता तो बसपा आसानी से बीजेपी को हरा सकती थी. मायावती ने आजमगढ़ उपचुनाव नतीजों से खुश हैं और दलित-मुस्लिम समीकरण को आगे भी लेकर चलने के संकेत दे रही हैं. 

बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा, 'यूपी के इस उपचुनाव परिणाम ने एकबार फिर से यह साबित किया है कि केवल बीएसपी में ही भाजपा को हराने की सैद्धान्तिक और जमीनी शक्ति है. यह बात पूरी तरह से खासकर समुदाय विशेष को समझाने का पार्टी का प्रयास लगातार जारी रहेगा ताकि प्रदेश में बहुप्रतीक्षित राजनीतिक परिवर्तन हो सके.' मायावती साफ तौर पर दलित-मुस्लिम कॉम्बिनेशन पर ही आगे बढ़ सकती है, जो सपा के लिए चिंता का सबब बन सकता है. 

कांशीराम ने आजमगढ़ को दलित राजनीति की सियासी प्रयोगशाला के तौर पर भी स्थापित किया था, जिसके चलते बसपा गठन के पांच साल के बाद ही आजमगढ़ संसदीय सीट पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी. 1989 से 2019 लोकसभा चुनाव में चार बार बसपा जीतने में कामयाब रही थी. 1989 में रामकृष्ण यादव तो 2004 में रमाकांत यादव बसपा के टिकट पर जीते जबकि 1998 और 2008 में अकबर अहमद डंपी बसपा से प्रत्याशी के तौर पर जीतकर सांसद बने. उपुचनाव में भी बसपा 29 फीसदी वोट हासिल कर एक बार फिर से अपनी सियासी आधार को मजबूत किया है.  

आजमगढ़ का जातीय समीकरण

आजमगढ़ लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा यादव वोट हैं. उसके बाद मुस्लिम और दलित हैं. ओबीसी में यादव समाज जिस तरह से सपा के कोर वोटर हैं तो वहीं दलितों में बसपा का मूल वोटबैंक माने जाने वाले जाटवों की संख्या अधिक है. बसपा शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को प्रत्याशी बनाकर मुस्लिम व दलित को एकजुट रखने का दांव सफल रही. जमाली भले ही जीत नहीं सके, लेकिन बसपा को सियासी संजीवनी जरूर दे दी है. 

अखिलेश को लगी दोहरी चोट

आजमगढ़ में सपा की हार ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए दोहरी चोट दी है. सपा न तो अपनी परंपरागत सीट बचा सकी और न ही मुस्लिम-यादव वोट बैंक को सहेज सकी है. 2024 से पहले आजमगढ़ और रामपुर में मिली हार ने सपा को बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है तो आजमगढ़ में मुस्लिम वोटों के बिखराव ने अखिलेश यादव की चिंता को बढ़ा दिया है. 

विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर्स के खोए समर्थन की वापसी के लिए बसपा प्रमुख मायावती का आजमगढ़ उपचुनाव में किया गया सियासी प्रयोग सफल रहा. बसपा सोशल इंजीनियरिंग के ब्राह्मण-दलित फॉर्मूले को छोड़कर दलित-मुस्लिम सियासत पर लौटती दिखाई दी. गुड्‌डू जमाली ने मायावती के फैसले को अमलीजामा पहनाकर 2024 में इस दिशा में आगे बढ़ने के संकेत दे दिए हैं, जो सपा के लिए आगे की राह कठिन कर सकती है? 

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'यहां सवाल PM की प्रतिष्ठा का था?' इंदिरा के आंसू, कांग्रेस के मठाधीश और महामहिम का चुनाव

देश को पांचवां राष्ट्रपति मिल चुका था. 1969 का वो राष्ट्रपति चुनाव हो चुका था जहां राजनीति की बिसात पर शतरंज के मोहरे ऐसे बिछाए गए थे कि भारत की प्रधानमंत्री ही अपनी पार्टी की प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट को हराने में जुटी थीं. सन 47 में आजादी, 50 में संविधान पाने वाले नए-नए भारत के लिए ये चुनाव सांप-सीढ़ी का लुभावना खेल बन गया था. जहां अपने ही लोगों को लंगड़ी लगाई जा रही थी.    

खैर चुनाव हुआ. भारत में मजदूरों के हक के लिए आवाज उठाने वाले वीवी गिरी देश के पांचवें राष्ट्रपति बने. लेकिन कांग्रेस पार्टी का उबाल था कि शांत हो ही नहीं रहा था. चुनाव नतीजों से खार खाए कांग्रेस के ओल्ड गार्ड यानी सिंडिकेट ने इंदिरा के खिलाफ एक्शन की तैयारी शुरू कर दी. 

दरअसल ये इलेक्शन तो राष्ट्रपति का था, लेकिन दांव-पेच, घात-प्रतिघात गांव वाले प्रधानी चुनाव जैसे थे. बड़े-बड़े नेता को खुसुर-फुसुर करते सुना जा सकता था. खेमेबाजी और गुटबंदी थी. प्रतिद्वंदी गुट की जानकारी जुटाने के लिए, जो हो सकता था तिकड़म भिड़ाए जाते थे. इसी माहौल में राष्ट्रपति का चुनाव हुआ.

इंदिरा के आंसू और PM पद की प्रतिष्ठा का सवाल

राष्ट्रपति चुनाव के बाद इंदिरा गांधी मजबूत तो हुईं, लेकिन वे इस बात से पूरी तरह वाकिफ थीं कि विरोधी कैंप से पलटवार होगा. पीएम इंदिरा ने भी अपने पक्ष में सांसदों को गोलबंद करना शुरू किया. वे सांसदों के छोटे-छोटे गुट से संवाद कर रही थीं और अपना पक्ष उनके सामने रख रही थीं. लेकिन इंदिरा कभी-कभी भावुक हो जाती थीं. भारत के संसदीय इतिहास को कलमबद्ध करने वाले पत्रकार कुलदीप नैयर अपनी जीवनी Beyond The lines में लिखते हैं, "सांसदों को अपनी बातें समझाते हुए इंदिरा कई बार रो पड़तीं, और कहतीं कि मैंने उन्हें जवाब इसलिए नहीं दिया क्योंकि मैं इनवॉल्व थी बल्कि इसलिए क्योंकि यहां भारत के प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा का सवाल था." इंदिरा कहती थीं कि उन्हें पता है कि अपने जीवन के आखिरी दिनों में नेहरू कितने दुखी रहा करते थे क्योंकि वे कांग्रेस को समाजवाद के रास्ते से भटकने से नहीं रोक पाए थे.  इंदिरा की माने तो वे कांग्रेस को और भटकने देना नहीं चाहती थी. 

कांग्रेस का ओल्ड गार्ड यानी मठाधीश

यहां इंदिरा गांधी जिनको जवाब देने की बात कर रही थीं वो थे कांग्रेस के ओल्ड गार्ड यानी कि वही सिंडिकेट जिसका जिक्र हमने ऊपर किया है. ठेठ हिंदी में कहें तो कांग्रेस पार्टी के मठाधीश. इनमें थे, के कामराज, एस. निजलिंगप्पा, एस. के. पाटिल, अतुल्य घोष और एन संजीवा रेड्डी. इंदिरा के पास पीएम की कुर्सी थी तो इनके पास थी देश को एक के बाद एक पीएम देने वाली कांग्रेस पार्टी. जो आजादी के बाद लगातार सत्ता में बनी हुई थी और नेहरू की मौत के बाद जिसकी कमान सन 1969 में इन नेताओं के पास थी. 

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राष्ट्रपति वी वी गिरी (फाइल फोटो)

दरअसल महामहिम का ये चुनाव भारत पर भाग्य ने थोप दिया था. आजादी के बाद लोकतंत्र के साथ हिन्दुस्तान का प्रयोग जारी ही था कि 1969 में देश के सामने संवैधानिक भारत के राष्ट्रपति जाकिर हुसैन का 3 मई 1969 को निधन हो गया. देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद खाली हो गया. लेकिन तब तक देश के नए-नए संविधान में इसके बाद की व्यवस्था थी ही नहीं. भारत के उपराष्ट्रपति वी. वी. गिरी देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. 

साल 1913, 19 साल का लड़का और इंग्लैंड का सफर 

इस राष्ट्रपति चुनाव की कहानी हम आपको बताएं इससे पहले उस शख्स की बात जो दिल्ली में हुई इस रस्साकशी के बाद मुल्क का महामहिम बना. बात वी. वी. गिरी यानी कि वराहगिरी वेंकट गिरी की हो रही है. साल 1913 में सिलोन यानी कि मौजूदा श्रीलंका से 19 साल का लड़का पानी के जहाज पर सवार होता है. उसकी मंजिल थी इंग्लैंड. यहां से वह आयरलैंड पहुंचा और डबलिन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई पढ़ने लगा.  

आयरलैंड के क्रांतिकारियों से मुलाकात

तब आयरलैंड में अशांति का दौर था. इस देश के युवा अलग देश के लिए ब्रिटेन से लड़ रहे थे. इन्हीं क्रांतिकारियों से इस युवा की दोस्ती हुई जिसका नाम था वी वी गिरी. दरअसल ये क्रांतिकारी भारत की आजादी की लड़ाई से हमदर्दी रखते थे. तीन सालों की पढ़ाई के दौरान वी वी गिरी की राष्ट्रवाद की भावना और दृढ़ हुई इसके अलावा वे आयरलैंड में मजदूरों के आंदोलन से प्रभावित हुए.

राष्ट्रपति भवन के अंदर की तस्वीर

भारत आकर वी वी गिरी ने ट्रेड यूनियन की राजनीति शुरू कर दी, कांग्रेस में शामिल हुए और आजादी की लड़ाई से जुड़ गए उनके हिस्से भारत में पहली बार रेलवे कर्मचारियों का यूनियन खड़ा करने का श्रेय जाता है. 

महात्मा गांधी के गुस्से का शिकार होते होते बचे वी. वी. गिरी

गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 के तहत प्रांतों को मिली स्वायत्तता के बाद 1937 में ब्रिटिश भारत में चुनाव हुआ.  वी. वी. गिरी मद्रास में मंत्री बन गए. अगले ही साल गिरी एक बड़े विवाद में फंस गए. गिरी लेबर और प्लानिंग के पैरोकार थे. उन्होंने वर्धा में औद्योगीकरण के समर्थन में जोशीला भाषण दिया. लेकिन उनका ये भाषण स्वराज की विचारधारा के पैरोकार रहे गांधी जी को अखर गया. गांधी जी ने सफाई मांग दी.  वी. वी. गिरी के सामने बड़ी मुश्किल थी. गांधी जी के कोप से बचने के लिए उन्होंने साफ-साफ नकार दिया कि उन्होंने ऐसा कोई भाषण दिया ही था. हालांकि अखबारों में उनका भाषण छपा था लेकिन वे गांधी को मनाने में कामयाब रहे. 

देश की आजादी के बाद नेहरू ने उन्हें सिलोन में भारत का पहला हाई कमिश्नर बनाया. 1952 में वे मद्रास से लोकसभा आए. इसके बाद उनकी राजनीतिक यात्रा जारी रही और 1967 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बने. 

मैं रबर स्टाम्प नहीं हूं

तो इसी वी. वी, गिरी को इंदिरा राष्ट्रपति बनाना चाहती थीं. आरोप तो लगता है कि वी. वी. गिरी राष्ट्रपति के तौर पर इंदिरा के रबर स्टाम्प थे. लेकिन अपनी सफाई में वे इन आरोपों को सीधे खारिज करते हैं. कुलदीप नैयर लिखते हैं कि जब उन्होंने वी वी गिरी का इन्टरव्यू लिया था तो उन्होंने कहा था कि कि मैं रबर स्टाम्प नहीं हूं. हालांकि उन्होंने इंदिरा के समर्थन के लिए उनकी तारीख की थी, और अपने कार्यकाल में कभी उनकी इंदिरा से मतभिन्नता नहीं रही. 

मोरार जी देसाई को रोकने के लिए चेकमेट बनीं इंदिरा

एक बार इंदिरा और कांग्रेस की कहानी पर लौटते हैं. 1966 में जब लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद इंदिरा प्रधानमंत्री बनीं तो वह कांग्रेस के सीनियर नेताओं की सहज पसंद नहीं थीं. यहां तो बूढ़े कांग्रेसियों ने मोरारजी देसाई को शास्त्री का उत्तराधिकारी बनने से रोकने के लिए इंदिरा का इस्तेमाल चेकमेट के रूप में किया था. समाजवादी दिग्गज राम मनोहर लोहिया के शब्दों में इंदिरा गूंगी गुड़िया थीं. और कांग्रेस के पितामहों को इंदिरा का चुपचाप वाला ये अवतार पसंद आ रहा था लेकिन  24 जनवरी 1966 को पीएम बनने के बाद इंदिरा ने जब अपनी राहें पकड़ी तो ने इन बुजुर्गों की धारणा को गलत साबित कर दिया. 

शुरुआती दिनों में बतौर पीएम इंदिरा नर्वस दिखा करती थीं. 1969 में उन्हें बजट पेश करने में दिक्कत हो रही थी. वो अपना बजट भाषण नहीं पढ़ पा रही थीं. विपक्षी और पार्टी में विरोधी गुट लगातार उन्हें निशाना बना रहा था. ये परिस्थितियां इंदिरा गांधी के जीवन में ट्रिगर प्वाइंट साबित हुईं. इंदिरा ने तय किया और जवाब दिया, पूरे ताकत और जोश के साथ. 

नोटबंदी के अलावा एक और ऐलान रात में ही हुआ था

इंदिरा जनता के बीच गईं. गांधी की तरह उन्होंने देश के कोने-कोने की यात्रा की. उन्होंने लगभग 3600 मील दूरी तय की. 1969 में इंदिरा ने भारत की आर्थिक सेहत को प्रभावित करने वाला एक बड़ा फैसला लिया. इस फैसले ने देश और दुनिया को बताया कि इंदिरा की प्रशासनिक काबिलियत क्या थी? 19 जुलाई 1969 को रात 8.30 बजे इंदिरा ने घोषणा की कि देश 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया है. तब इन बैंकों में 50 करोड़ रुपये जमा थे. ये सूचना लोगों के लिए ठीक वैसे ही झटके लेकर आई जैसे झटके लोगों को 8 नवंबर 2016 को लगे थे जब पीएम मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी. 

इंदिरा ने इस फैसले को लागू करने से पहले 16 जुलाई को मोरार जी देसाई को वित्त मंत्री के पद से हटा दिया. ये फैसला कैसे लागू किया गया ये समझना जरूरी है. 20 जुलाई को वीवी गिरी कार्यवाहक राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले थे. उनका मिशन कुछ बड़ा था?

17-18-19 जुलाई को इंदिरा ने क्या किया कि देश की किस्मत बदल गई

वित्त मंत्रालय के बैंकिंग डिवीजन में तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी डीएन घोष की जीवनी नो रिग्रेट में इसकी चर्चा है. डीएन घोष को 17 जुलाई की आधी रात को पीएन हक्सर (इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव) का फोन आया. उन्हें तुरंत वो टीम ज्वाइन करने कहा गया जो बैंकों के राष्ट्रीयकरण से संबंधित अध्यादेश ड्राफ्ट कर रही थी. लगातार 24 घंटे काम करके 18 जुलाई को इस ड्राफ्ट को तैयार किया गया. 19 जुलाई को इस अध्यादेश पर कार्यवाहक राष्ट्रपति वी वी गिरी ने हस्ताक्षर किया. 20 जुलाई को उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया और निर्दलीय राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. इधर 21 जुलाई 1969 से संसद का सत्र शुरू होने वाला था. अगर अध्यादेश लाने में जरा सा भी देरी हो जाती तो राष्ट्रीयकरण का मसला अटक सकता था. क्योंकि तब इसे संसद के द्वारा पास कराना पड़ता. यहां यह भी बताना जरूरी है कि राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख 24 जुलाई थी. 

इंदिरा की सलाह को सिंडिकेट ने ठुकराया

ये वाकया बताने के लिए काफी है कि इंदिरा ने अब अपनी शक्ति का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था. इसके साथ ही सिंडिकेट से उनका टकराव और भी बढ़ गया था. पहले भी स्थितियां खास अच्छी नहीं थी. 10 जुलाई 1969 को बैंगलोर में राष्ट्रपति का उम्मीदवार चुनने के लिए कांग्रेस संसदीय बोर्ड की अहम बैठक हुई. 1869 में बापू पैदा हुए थे. 1969 बापू का जन्म शताब्दी वर्ष था. इंदिरा ने प्रस्ताव दिया कि इस मौके पर एक दलित को राष्ट्रपति बनाना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देनी होगी साथ ही इससे समावेशी राजनीति के प्रति कांग्रेस के समर्पण का संदेश भी जाएगा. उन्होंने बाबू जगजीवन राम का नाम राष्ट्रपति पद के लिए पेश किया. लेकिन ये अहम का टकराव था. इंदिरा का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया और राष्ट्रपति उम्मीदवार बने पूर्व स्पीकर नीलम संजीव रेड्डी. 

राष्ट्रपति भवन

10 जुलाई के बाद इंदिरा कैसे रेस में आईं और राष्ट्रपति चुनाव में क्या क्या हुआ ये ऊपर विवरण से समझा जा सकता है. इधर वी वी गिरी भी राष्ट्रपति पद की रेस में आ चुके थे. कहा जाता है कि उन्हें सिंडिकेट से नाराज इंदिरा की मौन सहमति प्राप्त थी, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं मिलता है. तीसरे दमदार कैंडिडेट जो स्वतंत्र पार्टी, जनसंघ और अन्य विपक्षी दलों के उम्मीदवार थे वे थे सीडी देशमुख.

अंतरात्मा की आवाज वाली इंदिरा की अपील

16 अगस्त 1969 को देश के पांचवें राष्ट्रपति का चुनाव होना था. इससे चार दिन पहले इंदिरा ने कांग्रेसी सांसदों और विधायकों से एक ऐसी अपील की जो पॉलिटिकल साइंस के विद्यार्थियों के लिए एक चैप्टर बन गई. 12 अगस्त 1969 को इंदिरा ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस के सांसद और विधायक अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट दें. इंदिरा पार्टी के संविधान और अनुशासन से बंधी थीं लेकिन वो क्या कहना चाहती थीं ये सभी कांग्रेसियों को समझ गया. इंदिरा ने बिना कुछ कहे खुला आह्वान कर दिया था कि वोट किसे देना है. 

चुनाव नतीजे आए. सिंडिकेट खेमे में मायूसी थी. वी वी गिरी राष्ट्रपति बन गए थे. हालांकि उन्हें नतीजे घोषित करने के लिए दूसरी वरीयता के मतों की गिनती की गई. लगातार दूसरी बार इंदिरा ने अपने असल मिजाज का परिचय देश और कांग्रेस को दिया था. 

इस चुनाव में इंदिरा गांधी, जगजीवन राम और फखरुद्दीन अली अहमद ने कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी के खिलाफ वोट किया था. सिंडिकेट एक बार फिर बैठी. इंदिरा से जवाब तलब किया गया. अहम, हित और महात्वाकांक्षा का ये टकराव आगे भी जारी रहा. 12 नवंबर को अनुशासनहीनता के आरोप में इंदिरा को पार्टी से निकाल दिया गया. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी दो भागों में बंट गई. 

इन मुट्ठी भर लोगों का घमंड है

इंदिरा कहती थीं कि सवाल प्राइम मिनिस्टरशिप का था. अथॉरिटी का था. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा था, " जनता द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का विचार इन मुट्ठी भर लोगों का घमंड है. क्या हम उनके सामने (पार्टी आकाओं) झुक जाएं या इन अलोकतांत्रिक और फासीवादी व्यक्तियों को संगठन से साफ करें."

इंदिरा गांधी फोटो- Getty Image

कुलदीप नैयर उन दिनों कांग्रेस के ओल्ड गार्ड वर्सेज यंग गार्ड के टकराव को याद करते हुए लिखते हैं कि ये वक्त हम पत्रकारों के लिए चुनौतियों और मजे का समय था. दोनों ही कैंपों द्वारा खबरें देर रात को उस वक्त रिलीज की जाती थी जब अखबार की कॉपी प्रिटिंग प्रेस जाने को तैयार रहती थी. ये ग्रुप सोचते थे कि अगले दिन अखबारों में उन्हीं का वर्जन लोगों को पढ़ने को मिलेगा. नैयर ने लिखा है कि उस वक्त टीवी न्यूज का जमाना नहीं था अन्यथा उनके पास हमेशा ब्रेकिंग खबरें ही होती. 

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रविवार, 26 जून 2022

आजमगढ़ में BJP के दांव से चित हुए सपा के धर्मेंद्र यादव, निरहुआ की जीत

स्टोरी हाइलाइट्स

  • 2019 में निरहुआ को अखिलेश यादव ने हराया था
  • आजमगढ़ में इस बार कांटे का मुकाबला देखने को मिला

यूपी में लोकसभा उप चुनाव में बीजेपी ने बंपर जीत दर्ज की है. रामपुर के बाद आजमगढ़ भी बीजेपी ने फतह कर लिया है. आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की है. निरहुआ ने सपा प्रत्याशी और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को हराया है. 3 साल पहले 2019 के आम चुनाव में निरहुआ को अखिलेश यादव ने बुरी तरह हराया था. तब अखिलेश 2,59,874 वोटों से चुनाव जीते थे. अखिलेश को 621,578 और निरहुआ को 361,704 वोट मिले थे.

चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार उपचुनाव में बीजेपी के निरहुआ को 312768 वोट मिले. जबकि सपा के धर्मेंद्र यादव को 304089 वोट मिले. गुड्डू जमाली को 266210 वोट मिले. चौथे नंबर पर 4732 वोट नोटा के खाते में आए. यहां निरहुआ 8500 से भी ज्यादा वोटों से चुनाव जीते हैं. माना जा रहा है कि बसपा ने रामपुर में वाकओवर दिया और आजमगढ़ में अपना उम्मीदवार उतारकर सपा के सारे समीकरण बिगाड़ दिए.

अखिलेश का दांव नहीं हो सका कामयाब

2022 में अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से ये सीट खाली हो गई थी. अखिलेश ने इस सीट से चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को उतारा था. मगर, उनका ये दांव कामयाब नहीं हो सका और वह बुरी तरह हार गए. निरहुआ आजमगढ़ सीट पर लोकसभा चुनाव के बाद भी सक्रिय देखे गए और क्षेत्र के मुद्दे उठाते रहे.

उपचुनाव में हुआ कांटे का मुकाबला

आजमगढ़ सीट पर उपचुनाव की काउंटिंग के दौरान निरहुआ और धर्मेंद्र के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला. प्रत्येक राउंड की गिनती के बाद दोनों के वोटों ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया था. आखिरी के चरणों में निरहुआ भारी पड़े और उन्होंने निर्णायक बढ़त हासिल कर ली.

आजमगढ़ में नहीं चलता स्थानीय दांव

बताते चलें कि सपा ने धर्मेंद्र को सोची समझी रणनीति के तहत प्रत्याशी बनाया था. आजमगढ़ में रमाकांत यादव को छोड़ दिया जाए तो सपा ने यहां से जब भी किसी स्थानीय नेता पर दांव खेला, उसे हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में आजमगढ़ के किले को बचाए रखने के लिए सपा के पास सैफई परिवार के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं था. 

बसपा से गड़बड़ाए समीकरण

हालांकि, बसपा ने यहां उम्मीदवार उतारकर सपा की मुश्किलें बढ़ी दी थीं. बसपा ने आजमगढ़ से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार कर मुस्लिम-दलित गठजोड़ का बड़ा दांव खेला था. वहीं, बीजेपी ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को उतारकर सपा के यादव वोटबैंक में सेंधमारी का गेम प्लान सेट किया था. बसपा और बीजेपी के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ने और सियासी किले को बचाए रखने के लिए सपा ने बदायूं से पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को उतारा. हालांकि, अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सका.

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UP Lok Sabha Bypolls Result: बीजेपी ने सपा से छीना रामपुर, आजमगढ़ में भी जीत की करीब

उत्तर प्रदेश  UP Lok Sabha Bypolls लोकसभा उपचुनाव में  रामपुर (Rampur Bypolls Result) के नतीजे आ चुके हैं जिसमें घनश्याम लोधी ने जीत दर्ज की है। वहीं आजमगढ़ (Azamgarh Bypolls Result) के नतीजे आने बाकी है। आजमगढ़ में बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ ( Dinesh Lal Yadav win Azamgarh Seat) जीत की तरफ बढ़ रहे हैं।  वहीं 2019 में दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने वाली सपा इस बार दोनों सीटों पर हारती नजर आ रही है। हार की सबसे बड़ी वजह अखिलेश यादव के ओवर कॉन्फिडेंस को बताया जा रहा है। 

अखिलेश यादव दोनों सीट पर जीत से इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने चुनाव प्रचार में उतरना तक जरूरी नहीं समझा वहीं दूसरी तरफ निरहुआ हारने के बावजूद इलाके में अपना जनाधार बनाने में लगे रही। वहीं उपचुनाव की घोषणा होते ही बीजेपी ने यूपी में अपना पूरा प्रचार तंत्र एक्टिव कर दिया। सीएम योगी के अलावा यूपी सरकार के कई मंत्रियों को प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई। दूसरी तरफ केंद्र ने भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को प्रचार का जिम्मा सौंपा।

हालांकि आज सुबह आठ बजे जब वोटों की गिनती शुरूआत में दोनों सीटों पर सपा आगे चल रही थी।आजमगढ़ में वोटों की गिनती की दौरान नोकझोंक भी देखने को मिली जब पुलिस ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को स्ट्रॉंग रूम में जाने से रोक दिया। शुरूआती रूझानों में रामपुर और आजमगढ़ दोनों सीटों पर सपा प्रत्याशी आगे चल रहे थे। आजमगढ़ सीट पर धर्मेंद्र यादव तो रामपुर सीट पर आसिम राजा ने बढ़त बनाई हुई थी। लेकिन बाद में जैसे जैसे वोटों की गिनती बढ़ी वैसै- वैसे सपा प्रत्याशी दोनों सीटों पर पिछड़ते चले गए और रामपुर में धनश्याम लोधी तो आजमगढ़ में निरहुआ ने बढ़त बनानी शुरू कर दी।

बीजेपी-सपा-बसपा से कौन थे उम्मीदवार?

रामपुर सीट से बीजेपी ने घनश्याम लोधी को उम्मीदवार बनाया था वहीं सपा की तरफ से आजम खान के करीबी आसिम रजा मैदान में थे। मायावती ने इस सीट पर अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। आजमगढ़ सीट पर बीजेपी ने भोजपुरी अभिनेता और दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट दिया था वहीं सपा ने धर्मेंद्र यादव और बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उम्मीदवार बनाया था।
 


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आजम खान के गढ़ रामपुर में भी जीती बीजेपी, घनश्याम लोधी ने 42 हजार वोटों से सपा को हराया

स्टोरी हाइलाइट्स

  • सपा नेता आजम खान का गढ़ मानी जाती रामपुर सीट
  • एक समय आजम खान के करीबी रहे घनश्याम सिंह लोधी

उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव का परिणाम आ गया है. यहां बीजेपी ने बड़ा उलटफेर करते हुए समाजवादी पार्टी को हरा दिया है. बीजेपी उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी ने 42,048 वोटों से सपा उम्मीदवार असीम रजा को हराया है.

रामपुर सीट सपा नेता आजम खान का गढ़ मानी जाती है. 2019 में रामपुर लोकसभा सीट पर आजम खान ही चुनाव जीते थे. इसके बाद 2022 को विधानसभा चुनाव में भी आजम खान इसी सीट से उतरे और चुनाव जीत लिया.

आजम खान के इस्तीफे से खाली हुई थी सीट

विधायक बनने के बाद आजम खान लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद अब यहां लोकसभा उपचुनाव कराए गए. दो साल से ज्यादा वक्त तक जेल में रहकर बाहर आए आजम खान ने अपने समर्थक असीम रजा को इस सीट से उतारा था. खुद आजम खान ने असीम के नाम की घोषणा की थी वो अपने दम पर ही पूरा प्रचार कर रहे थे. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यहां एक बार भी प्रचार के लिए नहीं पहुंचे थे, जबकि बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी थी.

रविवार सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू हुई थी. सुबह से गिनती के बाद लगातार असीम आगे चल रहे थे. माना जा रहा था कि असीम उपचुनाव में आजम की उम्मीदों पर खरा उतरने जा रहे हैं. मगर, आखिरी समय आजम समर्थक असीम को सफलता नहीं मिल सकी.

बता दें कि विजयी प्रत्याशी घनश्याम लोधी एमएलसी रहे हैं. लोधी भी कभी आजम खान के करीबी रहे हैं. उन्होंने 2022 में ही बीजेपी जॉइन की थी.

घनश्याम सिंह लोधी को पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का भी बेहद करीबी माना जाता रहा है. उन्होंने 2004 में हुए एमएलसी चुनाव के दौरान कल्याण सिंह की राष्ट्रीय क्रांति पार्टी और मुलायम सिंह यादव की सपा के गठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी.

सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे. आजम खान हाल ही में संपन्न यूपी विधानसभा चुनाव में विधायक निर्वाचित हुए. विधानसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद आजम खान ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
 

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