शुक्रवार, 13 जनवरी 2023

गृह मंत्रालय का आदेश, PCR पर एक्शन और दफा 302 की फांस.

देश के दिल दिल्ली को दहला देने वाले कंझावला कांड में बड़ा एक्शन नजर आ रहा है. एक तरफ तो इस मामले में पुलिस पर गाज गिरी है, दूसरी तरफ गृह मंत्रालय ने पुलिस को इस मामले में धारा 302 के तहत तफ्तीश करने का फरमान सुनाया है. यही वजह है कि अब दिल्ली पुलिस इस केस में आईपीसी की धारा 302 लगाने को लेकर विशेषज्ञों से कानूनी सलाह ले रही है. अगर यह मामला कत्ल के मामले में तब्दील हो गया तो इस केस की जांच की दिशा भी बदल जाएगी. लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में कुछ दुश्वारियां भी हो सकती हैं. 

गृह मंत्री के आदेश पर कार्रवाई
अंजलि की मौत पर जब बवाल बढ़ा तो कंझावला केस में गृह मंत्रालय कड़ा कदम उठाने पर मजबूर हो गया. मंत्रालय की और से दिल्ली पुलिस को तीन खास निर्देश जारी किए गए. जिनमें कहा गया है कि वारदात के वक्त जो तीन पीसीआर वैन उस इलाके में तैनात थीं, उनमें मौजूद पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए. साथ ही इलाके के डीसीपी से भी जवाब तलब किया जाए.

पुलिस से मांगी थी रिपोर्ट
ये सारी कार्रवाई तब अंजाम दी गई, जब कंझावला मामले पर संज्ञान लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह के आदेश पर गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी थी. गृह मंत्रालय के इस आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने वरिष्ठ अधिकारी शालिनी सिंह को इस बाबत रिपोर्ट तैयार करने को कहा था. इस रिपोर्ट के मिलने के बाद गृह मंत्रालय ने यह महत्वपूर्ण आदेश दिया है.

डीसीपी से जवाब तलब
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जिस वक्त वारदात हुई, इलाके के डीसीपी स्पष्टीकरण दें कि कानून व्यवस्था के क्या इंतजाम थे? अगर कुछ उचित जवाब नहीं है, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए. एक अन्य निर्देश में कहा गया है कि वारदात की जगह के आस-पास इलाकों में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की जाए. गृह मंत्रालय ने संबंधित विभाग से यह भी कहा है कि दिल्ली के सुनसान इलाकों में और बाहरी दिल्ली के कई इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए जाएं.

11 पुलिसकर्मी सस्पेंड
गृह मंत्रालय का फरमान मिलते ही दिल्ली पुलिस ने कंझावला कांड के वक्त वहां तैनात तीनों पीसीआर वैन के पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. साथ DCP से भी जवाब तलब किया गया है. अभी तक इस मामले में आरोपियों की पकड़ के बाद यह सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है. कुल मिलाकर रोहिणी पुलिस जिले में तैनात 11 पुलिसकर्मी निलंबित किए गए हैं.

आसान नहीं है दिल्ली पुलिस की राह
उधर, केंद्रीय गृह मंत्रालय का आदेश मिलने के बाद इस मामले में आरोपियों पर हत्या की धारा लगाने की कार्रवाई शुरू हो गई है. लेकिन आईपीसी की धारा 302 लगाने के लिए दिल्ली पुलिस पहले लीगल ओपनियन ले रही है. वजह ये है कि ऐसा करने में दिल्ली पुलिस की राह इतनी आसान नहीं है. जितना सुनने में लग रहा है. इस मामले में कई पहलू हैं, जिन्हें समझना ज़रूरी है. 

इस मामले में कई बातों को आधार माना जा रहा है. मसलन, दिल्ली पुलिस ने आरोपियों की 31 दिसंबर 2022 से लेकर 1 जनवरी 2023 तक के रूट की CCTV मैपिंग की थी. जिसके मुताबिक-

1- वारदात के बाद 2 जगह आरोपी कार से नीचे झांकते हुए दिखाए दिए हैं. सीसीटीवी फुटेज दिल्ली पुलिस ने कब्जे में लिया है और फॉरेंसिक एक्सपर्ट को भिजवा दिया गया है.

2- आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्हें पता चल गया था कि कार के नीचे ह्यूमन बॉडी है, बावजूद इसके वो गाड़ी चलाते रहे.

ये दो बातें ऐसी हैं, जिसके बाद दिल्ली पुलिस लीगल एक्सपर्ट से लगातार लीगल ओपिनियन ले रही है. केस के लिए दिल्ली पुलिस ने स्पेशल कॉउंसिल अतुल श्रीवास्तव को नियुक्त किया है.

अब सवाल उठता है कि धारा 302 लगाने में कहां आ सकती है मुश्किल? अदालत में कहां फंस सकता है मामला?

1- दफा 302 यानी हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस को हत्या का मकसद भी बताना होगा कि आखिर किस वजह से आरोपियों ने हत्याकांड को अंजाम दिया?

2- दिल्ली पुलिस शुरू से कहा रही है की दो गाड़ियों की टक्कर हुई, जिसके बाद अंजलि कार में फंसी और उसे घसीटा गया. जिससे उसकी मौत हुई.

3- इस मामले में चश्मदीद भी पुलिस के पास है, जिसने बताया की स्कूटी और कार की टक्कर हुई थी.

अब इन बातों पर अगर गौर किया जाए तो नतीजा ये निकलता है कि कुल मिलाकर अगर पुलिस इस केस में धारा 302 लगा भी देती है, तो अदालत में हत्या को साबित करना एक टेढ़ी खीर साबित होगी.

ऐसे अंजाम दी गई थी वारदात
दिल्ली के कंझावला इलाके में एक स्कूटी और मारुति बलेनो कार की टक्कर हुई थी. जिसमें स्कूटी पर सवाल दो लड़कियों में से एक यानी अंजलि कार के नीचे बाई ओर के एक्सल में फंस गई थी. इसके बाद कार सवार आरोपियों ने उसे दिल्ली की सड़कों पर 12 किलोमीटर तक घसीटा था. उसी दौरान अंजलि की दर्दनाक मौत हो गई थी. चौंकाने वाली बात ये है कि ये सब उस रात हुआ, जब पूरा देश नए साल का जश्न मना रहा था. उस दिन दिल्ली पुलिस के पुख्ता सुरक्षा इंतजामों का दावा हवा हो गया था. उन दावों के बीच ही अंजलि ने सड़क पर दम तोड़ दिया था.

चश्मदीद ने खुद पुलिस को किया था फोन
कंझावला में 1 जनवरी 2023 की सुबह एक राहगीर ने कार के नीचे अंजलि की लाश घिसटती देखी थी. इसके बाद उसने पुलिस को करीब 3.24 बजे कॉल की. उस चश्मदीद का नाम दीपक है. उसने पुलिस को बताया था कि वह लगभग 3.15 बजे दूध की डिलीवरी का इंतजार कर रहा था, तभी उसने एक कार को आते देखा तो कार के पहियों से जोर की आवाज आ रही थी. इसके बाद उसने पुलिस को कार के नीचे लाश होने की जानकारी दी थी. दीपक ने कहा था कि वो सुबह 5 बजे तक पुलिस के संपर्क में रहा. मगर, कोई भी मौके पर नहीं आया. उसने बेगमपुर तक कार का पीछा किया था.

सामान्य गति से कार चला रहे थे आरोपी
चश्मदीद के मुताबिक, पीसीआर वैन में मौजूद पुलिसवालों ने रिस्पॉन्स नहीं दिया था और केस के बारे में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. दीपक का दावा है कि लाश के फंसे रहने तक कार इधर-उधर दौड़ती रही. लाश गिरने के बाद आरोपी मौके से भाग गए. प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, कार सामान्य गति में थी और देखने से लग रहा था कि कार में सवार लोग होश में थे. मगर उन्हें किसी को कोई खौफ नज़र नहीं आ रहा था.

मौके से भाग गई थी दूसरी लड़की
हादसे की रात यानी 31 दिसंबर और 1 जनवरी की दरम्यानी रात जब ये हादसा हुआ था. तब स्कूटी पर अंजिल के साथ सवार दूसरी लड़की निधि मौके से उठकर भाग गई थी. उसने अंजलि को वहीं कार के नीचे छोड़ दिया था. वो उसकी मदद करने के बजाय वहां से भाग निकली थी. जब इस बाबत आजतक ने उससे बात की थी, तो उसका कहना था कि वो घबरा गई थी, वो किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहती थी. इसलिए वो अंजलि को वहीं मरता छोड़ अपने घर चली गई थी. घर जाकर उसने सारी घटना अपनी मां को बताई थी.

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