कहीं खाने को चारा नहीं तो कहीं ठंड से मर रही हैं गायें, UP की गौशालाओं का Reality Check

उत्तर प्रदेश में एक तरफ आवारा जानवरों की वजह से किसान परेशान हैं और इस कड़कड़ाती ठंड में छुट्टा जानवरों से अपनी फसल को बचाने के लिए दिन रात खेतों की रखवाली कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गौशालाओं का भी हाल बेहाल है. छुट्टा जानवरों को पकड़कर इन गौशालाओं में रखा तो जा रहा है लेकिन इन गौशालाओं में गोवंशों का हाल सही नहीं है. आजतक की टीम ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गौशालाओं का रियलिटी चेक किया.
कई जिलों में गौशालाओं की स्थिति काफी दयनीय हालत में मिली. आइए जानते हैं कि किस जिले में गौशालाओं का क्या हाल है-
रायबरेली में गौशालाओं का हाल बेहाल
उत्तर प्रदेश के रायबरेली में 33 अस्थायी गौशालायें ग्रामीण क्षेत्र में हैं, जबकि एक अस्थायी गौशाला सलोन के नगर पंचायत में है. जिले में पांच बृहद गौ संरक्षण केंद्र भी है. पूरे जिले में 18 कांजी हाउस ग्रामीण क्षेत्र में है. एक कांजी हाउस रायबरेली के शहरी क्षेत्र में स्थित है जबकि कान्हा उपवन में 5 केंद्र बने हुए हैं. पूरे जिले में करीब जिले 15,000 से ज्यादा संरक्षित गोवंशो की संख्या है और बीते 6 महीने में करीब 500 से ज्यादा गोवंशो की मौत हो चुकी है.
तीन दिन पहले ही सरेनी ब्लाक के कोडरा गांव की गौशाला कुछ वीडियो वायरल हुए, जिनमें गोवंश की दुर्दशा की कहानी बयां की गई थी. जांच करने पहुंची सीडीओ पूजा यादव ने जांच के बाद बता दिया कि यहां भी सब कुछ ठीक ही था. हालांकि तस्वीरें और वीडियो कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे. तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा था कि 5 गोवंशो के शव पड़े मिले थे, जिन्हें बाद में ले जाकर दफन किया गया.
महराजगंज कड़ाके की ठंड में राम भरोसे बेजुबान
यूपी के महराजगंज जिले में तराई की वजह से भीषण ठंड है. पिछले दस दिन से मौसम का न्यूनतम पारा आठ डिग्री से ऊपर नहीं चढ़ पाया है. सबसे अधिक ठंड की मार से बेजुबान परेशान हैं. जिले में पूर्वांचल के सबसे बड़े गोसदन समेत 22 गोआश्रय केन्द्र हैं, जहां सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 610 गोवंशीय हैं, लेकिन ठंड से बचाव के लिए इंतजाम नाकाफी है. भीषण ठंड से बेजुबान ठिठुर रहे हैं. वहीं इनके रखरखाव की जिम्मेदारी संभाल रहे जिम्मेदार ब्लोवर से गर्म दफ्तर में ड्यूटी निभा रहे हैं.
निचलौल क्षेत्र के मधवलिया में पूर्वांचल का सबसे बड़ा गोसदन है, जहां सैकड़ों की संख्या में बेजुबान पशु हैं. गोसदन के पास 500 एकड़ से अधिक भूमि है, लेकिन कुशल प्रबंधन के अभाव में अव्यवस्था का माहौल है. गोवंशीय पशुओं के चलते यहां गिद्धों ने स्थायी बसेरा बना लिया है. जैसे ही कोई गोवंशीय पशु की मौत होती है, गिद्ध उसे अपना आहार बना ले रहे हैं.
हालांकि गोवंशीय पशुओं की मौत को लेकर जिम्मेदार कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं. शासन के निर्देश पर सभी ब्लॉक में गोशाला है, जहां पशुओं की देखभाल के लिए मानदेय पर कर्मी नियुक्त हैं, लेकिन गोवंशीय पशुओं की देखभाल राम भरोसे है. भोजन के नाम पर भूसा रख दिया गया है.भूख लगने पर गोवंशीय भूसा खाकर जीवन यापन कर रहे हैं.
भदोही में गौशाला में भगवान भरोसे गौवंश, नाद में नहीं दिखा चारा
छुट्टा गौवंशों के संरक्षण के लिए सरकार के आदेश पर भदोही जिले में 28 गौ आश्रय स्थल संचालित हैं, लेकिन इस आश्रय स्थलों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले के ज्ञानपुर विकासखंड में बड़वापुर ग्राम सभा में संचालित गौ आश्रय स्थल का जब रियलिटी चेक किया गया तो वहां आश्रय स्थल पर गौवंशों की देखभाल करने वाले गायब मिले.
यहां पर गौ-आश्रय स्थल पर गोवंश बंधे हुए मिले, लेकिन उनके सामने चारा नाम मात्र का ही देखने को मिला. यहीं जमीन पर गिरी एक गाय दर्द से तड़प रही थी. उसके आंखों से खून निकल रहा था. उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मर गई हो लेकिन उसके हिलते हुए कान उसके जिंदा होने की गवाही दे रहे थे.
लेकिन तड़प रही गाय का उपचार करने वाला मौके पर कोई भी दिखाई नहीं पड़ा. बड़वापुर में इस गौ आश्रय स्थल को सरकारी बजट पर ग्राम प्रधान द्वारा संचालित किया जाता है. यहां मौजूद कुछ लोग जो कैमरे पर नहीं बोलना चाहते थे.लेकिन बातचीत में उन्होंने बताया कि सिर्फ सुबह प्रधानजी के लोग गोवंशो को चारा डाल कर चले जाते हैं और दिन भर उनका कोई अता पता नहीं रहता है. यहां गायें भगवान भरोसे बंधी रहती हैं.
हमीरपुर में भी गौशालाओं का हाल बेहाल
हमीरपुर जिले में करीब 38 हजार अन्ना पशु हैं, जिनके लिए 303 सरकारी गौ शालाएं बनाई गई और जिले में दो बड़ी कान्हा गौशाला भी बनी है, लेकिन इन सभी गौशालाओं में चारा भूसे की भारी कमी है. इस वक्त कुछ गाय गौशाओ में तो कुछ गाय अभी भी खुले घूम रही है, जो किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई हैं.
जिले के डीडीओ विकाश मिश्रा का दावा है कि सभी अन्ना गाए गौशालाओं में बंद है, लेकिन हकीकत इसके उलट है. गायें खुले घूम रही है जिनसे खेतों में खड़ी फसल को बचाने के लिए किसान रात-रात भर जाग कर खेतों की रखवाली करने को मजबूर है. ग्रामीणों की माने तो गौशालाओं में गौवंश की मौत होती रहती है, लेकिन प्रशासन किसी को भनक नहीं लगने देता है और चुपचाप गायों को दफना दिया जाता है.
अमेठी में गौशालाओं की स्थिति बदहाल
अमेठी में गौशाला के लिए सरकार द्वारा भारी भरकम बजट भी पास किया जाता है, लेकिन वही जमीनी स्तर पर जनपद की अनेक गौशाला में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है. आलम यह है कि मवेशियों को भरपेट चारा नहीं नसीब हो रहा है. सूखे भूसे से ही उनके पेट को भरा जा रहा है. ठंड से बचाने के लिए जानवरों के लिए नाममात्र की व्यवस्था की गई है.
जब जनपद के विकास खंड भेटुआ के थौरा गौशाला की जमीनी स्तर पर रियलिटी चेक किया गया तो पता चला कि गौशाला में मवेशियों को हरा चारा तक नहीं नसीब हो रहा है. पानी पीने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई है और मवेशी गंदा पानी पीने को मजबूर है. गौशाला में चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ठंड से बचने के लिए नाम मात्र की व्यवस्था की गई है, जिसके चलते हाल फिलहाल 3 गोवंशो की मौत हो चुकी है.
वही विकास खंड अमेठी के परसावा गांव में बनाई गई अस्थाई गौशाला में भी मवेशियों के लिए हरे चारे की कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है. मवेशी सुखा भूसा खाने को मजबूर है. अमेठी जनपद में जानवरों के संरक्षण के बनाई गई गौशाला की स्थिति देखी जाए तो जनपद में कुल 103 गौशाला संचालित हो रही है, जिसमे कुल 12,586 जानवरो को संरक्षित किया गया है.
ऐसा नहीं है कि पूरे उत्तर प्रदेश में गौशालाओं का हाल बेहाल है. कई जिलों में हमें गौशालाओं में अच्छी व्यवस्था भी देखने को मिली. फिरोजाबाद में नगर निगम द्वारा दो गौशाला में संचालित की जाती है. एक जलेसर रोड स्थित कान्हा गौशाला है, जहां 329 गाय हैं. दूसरी आर्य नगर स्थित गौशाला है, जहां 101 गाय हैं. कड़ाके की ठंड के चलते इन गौशालाओं में गायों को ठंड से बचाने के लिए बिजली के हीटर लगाए गए हैं. साथ ही गायों को कंबल व त्रिपाल से ढका जा रहा है.
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