दिल्ली में ISI के इशारे पर घुसपैठ, दावत ए इस्लामी के जरिए PAK आतंकी ने बनाया नेटवर्क

पाकिस्तानी संगठन दावत ए इस्लामी सिर्फ भारत में सक्रिय रूप से काम नहीं कर रहा है बल्कि इसके जरिए देश में ISI एक बड़ा आतंकी नेटवर्क भी खड़ा करने की तैयारी कर रहा है. इसको लेकर इनपुट तो पहले से मिलते आ रहे हैं, लेकिन अब आजतक की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम ने एक सीक्रेट ऑपरेशन किया है- ऑपरेशन दावत-ए-इस्लामी. दावा है कि पाकिस्तान के इसी संगठन की आड़ लेकर ISI ने वर्षों तक एक बड़े आतंकी को भारत में शरण दिलाई. एक आतंकवादी जो 17 साल तक भारत में घूमता रहा. उसने अपनी पहचान छिपाई, नाम बदला और देश में रहकर पाकिस्तान के इशारे पर बड़े आतंकी हमलों को अंजाम देने का काम किया.
पहचान छिपाई, आतंकी नेटवर्क बढ़ाया
इस आतंकी का नाम मोहम्मद अशरफ है जिसने 17 साल पहले भारत में एंट्री ली थी. इसने अपना नाम बदल अली अहमद नूरी कर लिया था. पिछले साल 11 अक्टूबर को दिल्ली से इसे गिरफ्तार किया गया. नूरी के पास ही पूछताछ के बाद AK-47 समेत और दूसरे हथियार और हैंड ग्रेनेड मिले थे. आजतक के पास एक्सक्लूजिव जानकारी है कि गिरफ्तार अशरफ नूरी भारत में 2004 से रह रहा था. दावा तो ये भी है कि कई हमलों में इसका हाथ हो सकता है.
सत्रह साल तक ये आतंकवादी भारत में पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी की आड़ लेकर बचता रहा. पूछताछ के दौरान इस आतंकी ने अपने बयान में बताया था कि ISI के नासिर के कहने पर ये दावत-ए-इस्लामी से जुड़ गया था. जिसमें दावत-ए-इस्लामी की तरफ से इसे हर महीने एक सैलरी भी दी जाती थी. दावा है कि दावत-ए-इस्लामी की आड़ में ही अशरफ भारत में अपना टेरर नेटवर्क बढ़ाता रहा. यानी दावत-ए-इस्लामी भले धर्म के नाम पर चलने वाला एक संगठन हो, लेकिन ISI इसकी आड़ में भारत में आतंकियों को पे रोल पर रखने का भी काम करता है. जैसा दावा है कि गिरफ्तार अशरफ 15 से 18 हजार रुपए भारत में दावत-ए-इस्लामी की तरफ से पाता रहा. और दस साल तक एक आतंकी दावत-ए-इस्लामी की आड़ मे शरण लिया रहा.
(गिरफ्तार हुआ आतंकी मोहम्मद अशरफ)
अब सवाल ये उठता है कि भारत में पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी में कैसे एक आतंकी 10 साल तक काम करता रहा ? क्यों किसी और को नहीं पता चला ? इस सवाल का जवाब दावत-ए-इस्लामी के एक मौलाना ने आजतक को बता दिया है. ये वहीं मौलाना है जिससे जांच एजेंसी भी सवाल-जवाब कर चुकी है. एक नजर उस मौलाना के साथ हुई बातचीत पर डालते हैं-
रिपोर्टर- ये जो मोहम्मद अशरफ अली था ये पाकिस्तानी है ये आपको कब पता चला
मौलाना- इसको अली के नाम से जानते थे इसको, इंडियन डॉक्यूमेंट थे इसके उसी के बिनाह पर इसको अली के नाम से जानते थे , जब न्यूज आई तो ऐसा ऐसा इसका मामला है
रिपोर्टर- अच्छा तब तक आप लोगों को मालूम नहीं था की ये पाकिस्तानी है
मौलाना- नहीं, स्टेटमेंट था मेरा वो तो दिल्ली पुलिस के पास भी है, सारी चीजें हैं, लेकिन इस टाइप का उग्रवादी है, आतंकवादी है ये तब पता चला जब न्यूज छपी थी.
रिपोर्टर- ये आप से मिला कैसे
मौलाना- दावते इस्लामी से अटैच्ड था ये भी (पाकिस्तानी)) मैं भी दावते इस्लामी से जुड़ा हुआ था, तो दावते इस्लामी के प्रोग्राम में दिल्ली में इस से मुलाकात हुई थी मेरी
रिपोर्टर- तो उसके बाद और भी जैसे दावते इस्लामी का जियारत होता रहता था तो उसमें भी मुलाकात करता रहता था क्या?
मौलाना- हां हां, दावते इस्लामी में आना जाना रहता था इसका और 2015 से 2018 के बीच में कई बार मुलाकात हुई थी इस से
अब आजतक की ये रिपोर्ट बताने के लिए काफी है कि पाकिस्तान दावत ए इस्लामी के जरिए भारत में अपने आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने का काम कर रहा है. पहचान छिपाकर कई सालों तक ना सिर्फ देश में शरण ली जा रही है, बल्कि नए स्लीपर सेल भी तैयार किए जा रहे हैं.
नफरत फैलाने वाली ट्रेनिंग डीकोड
वैसे दावत ए इस्लामी को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है. ये खुलासा भी आजतक एक दूसरे अंडर कवर एजेंट ने किया है. जानकारी मिली है कि दावत ए इस्लामी के जरिए भारत में कट्टरता की ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है. हिंदुस्तान में नफरत का माहौल पैदा करने की कोशिश हो रही है. आजतक की तहकीकात में सामने आया है कि भारत में युवाओं को धर्म के नाम पर आतंकी बना देने का काम करता है. अब इसी नेटवर्क को समझने के लिए आजतक के रिपोर्टर ने इस दावत ए इस्लामी की ट्रेनिंग लेने का फैसला कर लिया.
दावत-ए-इस्लामी की तरफ से दिए जाने वाले धार्मिक कार्यक्रम की ऑनलाइन ट्रेनिंग लेने के लिए एप्लाई किया गया. 22 जुलाई को आजतक के अंडर कवर रिपोर्टर ने दावत-ए-इस्लामी के ऑनलाइन कोर्स में दाखिले के लिए अर्जी दी. फिर आजतक के रिपोर्टर को दावत-ए-इस्लामी की तरफ से 22 जुलाई की रात ही ई-मेल के जरिए संपर्क किया गया. इसके बाद आजकत संवाददाता को पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामी ने भारत में एक नंबर पर बात करके आगे बढ़ने और जानकारी हासिल करने को कहा. और फिर उसी रात आजतक के अंडरकवर रिपोर्टर के पास दावत-ए-इस्लामी के भारत में बैठे शख्स की तरफ से फोन कॉल आया. उस बातचीत पर एक नजर डालिए-
हसीन अहमद, दावत-ए-इस्लामी, एमपी- आपने फॉर्म अप्लाइ किया हुआ था
रिपोर्टर- जी-जी
हसीन अहमद, दावत-ए-इस्लामी, एमपी -जी माशाअल्लाह हमें आपका फॉर्म मिला हुआ हैं, प्यारे भाई हमारे यहां मदनी कायेदा और नाजरा कोर्स होता हैं तो इससे पहले आपने कभी मदनी कायेदा पढ़ा हैं क्या?
रिपोर्टर- मैं ईमानदारी से बताऊ वो क्या कहते हैं बस नमाज़ पढ़ना जनता हूं इससे ज्यादा बहुत ज्यादा पढ़ा नहीं हूं.
हसीन अहमद, दावत-ए-इस्लामी, एमपी- अच्छा माशाअल्लाह नमाज़ पढ़ना जानते हैं येही बहुत बड़ी तरतमंदी की बात हैं अल्लाहपाक आपके --- तौफीक आता फरमाए. तो मदनी कायेदा जब पढ़ेंगे न तो आपको कुरानेपाक को कैसे पढ़ना हैं ये सब सिखाया जाएगा न तो इसके जरिए इनशाल्लाह कुरानेपाक दुरुस्त मखरीज़ के साथ तजविष के साथ पढ़ना शिख जाएंगे ठीक हैं, हां उसके बाद आपको कुराने पाक बढ़ाया जाएगा पहले मदनी कायेदा फिर कुरानेपाक और ये आधे घंटे की skype के जरिए क्लास होती हैं और इसकी monthly फीस 12 सौ रुपया होती हैं
अब आजतक के रिपोर्टर ने वो ट्रेनिंग लेने का फैसला भी किया और क्लास अटेंड करने का सिलसिला भी शुरू हो गया. शनिवार छोड़ रोज आधे घंटे की ऑनलाइन क्लास होती थी. किसी भी टीचर का चेहरा नहीं दिखाई जाता था, सिर्फ ऑडियो रहता था. लेकिन मकदस स्पष्ट था- नफरत फैसला.
पाकिस्तान का सफेद झूठ
ये है वो पहला सबूत जो बताता है कि दावत-ए-इस्लामी का भारत में सक्रिय ना होना एक कोरा झूठ है. दावत-ए-इस्लामी के भारत में बेदह संवेदनशील जगहों तक पैर फैले हुए हैं. और धर्म की शिक्षा देने के नाम पर भड़काने, उकसाने का तरीका दावत-ए-इस्लामी अपनाता है. पाकिस्तान का दावत-ए-इस्लामी भारत में इस्लाम के नाम पर लोगों को भड़काने, हिंसा करने को उकसाने वाला कोर्स कराने लगता है. जबकि पाकिस्तान की सरकार और पाकिस्तानी दावत-ए-इस्लामी भारत में हर लिंक, हर संबंध को खारिज करते हैं. जो एक सफेद झूठ है.
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